अपने बयानों के चलते अक्सर विवादों में रहने वाली बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने सोमवार (17 जून, 2019) को लोकसभा सांसद के नाते शपथ ली, तो भी वह विवाद में घिर गईं। संस्कृत में शपथ लेने के दौरान उन्होंने जब नाम पढ़ा तो उसे लेकर कई विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई। नौबत हो-हल्ला कटने तक की आ पहुंची, जिसके बाद रिकॉर्ड में उनका नाम चेक हुआ और फिर वह शपथ ले पाईं। विपक्षी सदस्यों की तीखी आपत्ति के बाद कार्यवाहक अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार बोले कि साध्वी का जो नाम निर्वाचन प्रमाणपत्र में दर्ज होगा, वही सदन के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। साध्वी इसके बाद तीसरी कोशिश में शपथ ग्रहण कर पाईं।

17वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन नवनिर्वाचित सदस्यों को सदन की सदस्यता की शपथ राज्यवार दिलाई गई। मध्य प्रदेश के सदस्यों का नंबर आया तो भोपाल से चुनी गईं साध्वी प्रज्ञा को बुलाया गया। उन्होंने नाम साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पूर्णचेतनानंद अवधेशानंद गिरि बताया। शपथ पूरी करने के बाद उन्होंने ‘‘भारत माता की जय’’ का नारा भी लगाया।

हालांकि, उनके इस नाम पर कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ अन्य सदस्यों ने आपत्ति जताई थी। इसी बीच, पीठासीन अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने साध्वी से संविधान या फिर ईश्वर के नाम पर शपथ लेने को कहा। जवाब में साध्वी बोलीं कि वह ईश्वर के नाम पर ही शपथ ले रही हैं और अपना वही नाम ले रही हैं, जो उन्होंने फॉर्म में भरा है। इस दौरान कुछ देर लोकसभा अधिकारी और कर्मचारी रिकॉर्ड में साध्वी का रिकार्ड में दर्ज नाम ढूंढते रहे।

आगे जब अध्यक्ष के हस्तक्षेप से हंगामा थमा तो ठाकुर ने शपथ-पत्र का नाम के बाद का हिस्सा ही पढ़ा। कांग्रेसी सदस्यों ने इस पर भी देर तक आपत्ति जाहिर की। वैसे, कार्यवाहक अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि साध्वी का जो नाम निर्वाचन प्रमाणपत्र में लिखा होगा, वही सदन के रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा।

बता दें कि साध्वी प्रज्ञा ने आम चुनाव में भोपाल से कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह को हराया है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व प्रमुख और मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान शहीद हुए हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दिए थे, जिस पर उनकी खूब आलोचना हुई थी।

साध्वी की शपथ के बाद कुछ सदस्य शपथ के अंत में भारत माता की जय बोल रहे थे। इस पर आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने आपत्ति जताई। कहा कि शपथ-पत्र का एक प्रारूप और प्रक्रिया होती है, उसी अनुसार शपथ ली जानी चाहिए। वहीं, पीठासीन वीरेंद्र कुमार बोले, ‘‘सदस्यों से अनुरोध है कि वे शपथ-पत्र का ही वाचन करें।’’

ये दिग्गज चेहरे नहीं आए नजरः दशकों से संसद के निचले सदन के नियमित सदस्य रहे लाल कृष्ण आडवाणी, एच डी देवगौड़ा और सुषमा स्वराज सहित कई वरिष्ठ नेता चुनाव नहीं लड़ने या हार जाने के कारण सोमवार को 17 वीं लोकसभा में नहीं दिखे। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, एम वीरप्पा मोइली और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे चर्चित नाम इस बार नजर नहीं आए। भाजपा के 75 साल से अधिक उम्र के नेता को मुकाबले में नहीं उतारने के प्रावधान के कारण आडवाणी, जोशी और महाजन इस बार चुनाव में नहीं उतरे जबकि स्वराज ने खराब स्वास्थ्य के कारण चुनाव नहीं लड़ा।