कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते प्रवासी मजदूरों का अपने घरों की तरफ जाने का सिलसिला जारी है। मजदूरों को रास्ते में खाने पीने की दिक्कतों से लेकर तपती धूप और कई कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मजदूरों के साथ-साथ उनके बच्चों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वीदिशा हाईवे पर ऐसे मजदूरों के कई जत्थे नजर आए जो सपरिवार अपने घरों की ओर निकल रहे हैं।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन मजूदरों को भट्ठा मालिकों ने आर्थिक मदद से मना कर दिया था जिसके बाद इन लोगों ने पैदल ही घर जाने का फैसला किया। ईंट के भट्ठे पर काम करने वाले इन मजदूरों नेे बताया कि भट्ठा मालिक से लॉकडाउन के बीच जब पैसे मांगे तो मालिक ने पैसे देने से मना कर दिया। ऐसे में मजदूरों के पास ना खाने पीने के लिए पैसे थे ना राशन। मजबूरन उन्हें अपने घरों की ओर लौटना पड़ा।

यह मजदूर उत्तर प्रदेश के ललितपुर जा रहे हैं। ये लोग मध्य प्रदेश के इंदौर से आ  रहे हैं। इन के साथ साइकिल पर इनके बच्चे भी हैं। एक मजदूर की छोटी बच्ची भी है। उसे पिलाने के लिए रास्ते में दूध भी नहीं मिला। उसे रास्ते में केला खिला खिलाकर 500 किलोमीटर का सफर तय कर रहेे हैं। टीवी पत्रकार से बातचीत के दौरान मजदूर ने बताया कि हम तीन दिन से चल रहे हैं खाने पीने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है रास्ते में जो कुछ मिल जाता है उसी से काम चल जाता है।

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