Lok Sabha Chunav 2024: पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए केवल एक हफ्ते का ही टाइम बचा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन से जुड़े हुए शिअद नेता सिकंदर सिंह मलूका ने अब यू टर्न लिया है और प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की है। शनिवार की सुबह मलूका ने एक वीडियो जारी किया है। इसमें उन्होंने सिख समुदाय के बलिदानों की चर्चा की तथा सिख समुदाय के लिए किए गए कामों के लिए नरेंद्र मोदी की तारीफ की।
सिकंदर सिंह मलूका की बहू रिटायर्ड आईएएस अफसर परमपाल कौर सिद्धू मलूका भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बठिंडा से चुनाव लड़ रही हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटियाला रैली में भी दिखाई नजर आईं थी।
पीएम मोदी ने सिख समुदाय के लिए काफी कुछ किया
मलूका जो 50 से ज्यादा सालों से अकाली दल से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि कई लोगों को मेरी बात पसंद नहीं आएगी। लेकिन मेरा भरोसा है कि पीएम मोदी ने सिख समुदाय के लिए बहुत कुछ किया है और हमें इसकी सराहना करनी चाहिए। अगर कोई कुछ अच्छा कर रहा है, तो हमें उसकी भी तारीफ करनी चाहिए। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यहां तक शिअद लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ गठबंधन नहीं कर पाई। इसकी मुख्य वजह किसानों का विरोध प्रदर्शन रहा।
मलूका शिअद की अनुशासन समिति के अध्यक्ष हैं। हालांकि, वह अपनी बहू के 9 अप्रैल को भाजपा में शामिल होने के बाद पूरे चुनाव प्रचार के दौरान चुप रहे। अप्रैल के पहले हफ्ते तक वह अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल के लिए प्रचार में जुटे रहे, लेकिन बाद में ना तो उन्होंने शिअद और ना ही बीजेपी के लिए प्रचार किया। वह एकदम शांत ही रहे।
किसानों को बातचीत से निकालना चाहिए हल
पंजाब के पूर्व शिक्षा मंत्री ने सिखों से आग्रह करते हुए कहा कि वे टकराव और प्रदर्शन छोड़कर चुनावी नतीजों के बाद पीएम मोदी से मिले और हमारी सभी मांगों पर चर्चा करें और उन्हें पूरा करवाएं। पीएम मोदी ने तीन कृषि कानूनों को रद्द कर दिया है। उन्होंने लंगर पर जीएसटी माफ कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोल दिया। उन्होंने छोटे साहिबजादे की याद में वीर बल दिवस की घोषणा की और भी बहुत कुछ किया है। इसी वजह से मुझे लगता है कि टकराव के बजाय बातचीत से समस्या का हल निकाला जाए।
इन मांगों पर राज्य को आगे बढ़ना होगा
अकाली दल से 50 साल से जुड़े मलूका ने कहा कि हमारा सिख समुदाय सदियों से संघर्ष करता आ रहा है। अगर आजादी के बाद के माहौल को देखें तो हमारे समुदाय ने काफी परेशानी उठाई हैं और हमारी कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है। इसलिए कहीं न कहीं हमारे नेतृत्व में ही कुछ खामी रही है। अच्छा नेता वह होता है जो समुदाय को हुए नुकसान के बजाय ज्यादा फायदा देने की कोशिश करता है। पंजाब के समान विचारधारा वाले लोगों को इकट्ठा होकर हमारी मुख्य मांगों जैसे हरियाणा, राजस्थान के साथ पंजाब की नदियों के पानी के बंटवारे का मुद्दा, चंडीगढ़ को हमारी राजधानी बनाने का मुद्दा , किसानों की मांगें और कई जरूरी मुद्दों पर आगे बढ़ना चाहिए।
जब उनसे यह सवाल किया गया कि वह मोदी की जीत की हैट्रिक को लेकर कितने आश्वस्त हैं तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि वह लगातार तीसरी बार सरकार बनाएंगे या दूसरे शब्दों में कहें तो देश का पीएम चाहे जो कोई भी नेता बने लेकिन हम अपनी मांगो को उनके सामने रखने से नहीं चूकेंगे। मलूका ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने दो दिवसीय पंजाब का दौरा किया। उनके भाषण को मैंने टीवी पर सुना।
पीएम ने बहुत सारी बातें कही कि 1971 के युद्ध के बाद जब पाकिस्तान पूरी तरह से हार चुका था। उस समय कश्मीर और करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के मुद्दे क्यों नहीं सुलझाए गए। उस समय के नेतृत्व में कहीं ना कहीं कमी रही होगी। मलूका ने पीएम मोदी के पटना साहिब गुरुद्वारा जाने और लंगर सेवा करने के लिए भी पीएम मोदी की तारीफ की।
पीएम मोदी के द्वारा की गई लंगर सेवा को भी सराहा
मलूका ने कहा कि यह दुनिया के लिए एक जरूरी मैसेज है और हमे इसकी तारीफ करनी भी चाहिए। हम एक समुदाय के रूप में अल्पसंख्यक हैं और इसलिए हमें इस पर गर्व महसूस करने की जरूरत है। वह दुनिया को सिखों द्वारा गुरुद्वारों में की जा रही लंगर सेवा के बारे में बता रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि हमें अपनी मांगों के बारे में बात करनी चाहिए।
जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि वह पीएम मोदी की तारीफ कर अपनी बहू के लिए समर्थन मांग रहे हैं तो उन्होंने कहा कि मैं वास्तव में पीएम मोदी के किए गए कामों की तारीफ कर रहा हूं। इसको किसी भी दूसरे तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। मैं अपनी बहू के किसी भी चुनाव प्रचार अभियान का हिस्सा नहीं हूं।
इस बीच, परमपाल कौर ने चुनाव लड़ने से पहले अप्रैल के पहले हफ्ते में वीआरएस मांगा था। हालांकि, इस मामले पर काफी बहस छिड़ी क्योंकि पंजाब सरकार ने उनके इस्तीफे को मंजूरी नहीं दी थी और उन्हें ड्यूटी पर लौटने को कहा था। आखिरकार नॉमिनेशन फाइल करने से एक दिन पहले पंजाब सरकार ने उन्हें एनओसी दे दी। पंजाब में एक जून को सभी 13 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी।
