महाराष्ट्र भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग क्या की, राजनैतिक गलियारों में इसे लेकर बहस छिड़ गई है। भाजपा की आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि इंदिरा गांधी भी सावरकर की इज्जत करती थीं और इंदिरा गांधी ने सावरकर के सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था। अब वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने भी ऐसा ही कुछ कहा है।

रंजीत सावरकर ने कहा कि “इंदिरा गांधी वीर सावरकर का सम्मान करती थीं, मुझे महसूस होता है कि वह उनका अनुसरण (फॉलो) भी करती थीं, क्योंकि वह पाकिस्तान को घुटनों पर ले आयीं थी, उन्होंने सेना को मजबूत किया और विदेशी संबंधों को दृढ़ता दी। उन्होंने परमाणु परीक्षण भी किया। यह सब नेहरु और गांधी की विचारधारा के खिलाफ था।”

बता दें कि महाराष्ट्र भाजपा द्वारा सावरकर को भारत रत्न देने की मांग करने पर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा है। ओवैसी ने यह कहकर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने का विरोध किया कि सावरकर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा था। ओवैसी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रंजीत सावरकर ने कहा कि “ओवैसी को सावरकर के विचारों का अनुसरण करना चाहिए कि धर्म अपने घर के अंदर रखें, जब आप घर से बाहर हैं तो ना आप हिंदू हैं, ना मुस्लिम। आप सिर्फ भारतीय हैं।”

रंजीत सावरकर ने बताया कि “सावरकर उम्मीद करते थे कि जो लोग संसद पहुंचते हैं, वो अपनी जाति, धर्म और लिंग आदि को संसद के बाहर छोड़ दें। आपको सावकर जितना सेक्यूलर आदमी आसानी से नहीं मिलेग।” इससे पहले भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी ट्वीट कर बताया कि इंदिरा गांधी ने साल 1970 में वीर सावरकर के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था। साथ ही इंदिरा गांधी ने अपने निजी खाते से 11,000 रुपए सावरकर ट्रस्ट को दान किए थे।