उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा गर्मा गया है। रविवार (11 जुलाई) को विश्व जनसंख्या दिवस पर साढ़े 11 बजे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसंख्या नीति जारी करेंगे।
उन्होंने इससे पहले सुबह ट्वीट किया और कहा, “बढ़ती हुई जनसंख्या समाज में व्याप्त असमानता समेत प्रमुख समस्याओं का मूल है। समुन्नत समाज की स्थापना के लिए जनसंख्या नियंत्रण प्राथमिक शर्त है। आइए, इस ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ पर बढ़ती जनसंख्या से बढ़ती समस्याओं के प्रति स्वयं व समाज को जागरूक करने का प्रण लें।”
इस नीति और विधेयक की टाइमिंग को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। इसी बीच, हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली AIMIM के प्रवक्ता सैयद असीम वकार ने हिंदी समाचार चैनल एबीपी न्यूज पर सुबह टीवी डिबेट के दौरान जनसंख्या नियंत्रण पर ऐंकर शिरीन से पूछ दिया, “योगी जी, कितने भाई-बहन हैं?” उनके मुताबिक, अगर कांग्रेस ने अपने वक्त में इस तरह के कानून या नियम को लागू कर दिया होता, आज इसे लागू करने की बात करने वाले नेता, सीएम और पीएम तक न होते।
बढ़ती हुई जनसंख्या समाज में व्याप्त असमानता समेत प्रमुख समस्याओं का मूल है। समुन्नत समाज की स्थापना के लिए जनसंख्या नियंत्रण प्राथमिक शर्त है।
आइये, इस ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ पर बढ़ती जनसंख्या से बढ़ती समस्याओं के प्रति स्वयं व समाज को जागरूक करने का प्रण लें।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 11, 2021
प्रस्तावित विधेयक के मसौदे पर सपा विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा बोले, ‘‘इस विधेयक को लाने का मतलब लोकतंत्र की हत्या है। यह उत्तर प्रदेश सरकार का एक अपरिपक्व निर्णय है।’’ यूपी चुनाव से पहले इसे “राजनीतिक एजेंडा” करार देते हुए यूपी कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा, ‘‘आरएसएस और भाजपा नेता आबादी बढ़ाने की बात करते हैं, जनसंख्या नियंत्रण केंद्र का विषय है, उप्र विधानसभा चुनाव को देखकर योगी आदित्यनाथ अध्यादेश ला रहे हैं, कोरा पोलिटिकल एजेंडा चुनाव के समय याद आया। वाह सरकार।”
वहीं, हरदोई में पत्रकारों के जनसंख्या नियंत्रण के सवाल पर उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी के प्रभारी और सांसद संजय सिंह ने कहा, ”बच्चों की संख्या निश्चित कर देंगे तो भाजपा के एक भी सांसद विधायक बच नहीं पाएंगे।”
बता दें कि उप्र में जनसंख्या विधेयक पर मसौदा तैयार किया गया है। प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के इस मसौदे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में दो-बच्चों की नीति का उल्लंघन करने वाले को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने, पदोन्नति और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा। राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) विधेयक-2021 का प्रारूप तैयार कर लिया है।
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग (यूपीएसएलसी) की वेबसाइट के अनुसार, ‘‘राज्य विधि आयोग, उप्र राज्य की जनसंख्या के नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण पर काम कर रहा है और एक विधेयक का प्रारूप तैयार किया है।’’ विधि आयोग ने इस विधेयक का प्रारूप अपनी सरकारी वेबसाइट पर अपलोड किया है और 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है।