UP Politics: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘विमुक्त एवं घुमंतू जनजाति दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने न केवल समुदायों के लिए कई उपायों की घोषणा की, बल्कि सहयोगी राजनीतिक दलों के बीच एकता का संदेश देने की कोशिश की है।

ब्रिटिश काल के आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871, जो कि खानाबदोश, अर्ध-खानाबदोश और विमुक्त जनजातियों को अपराधी बनाता था। उसके निरस्त करने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 31 अगस्त को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में आदित्यनाथ ने एक आवास योजना और एक कल्याण बोर्ड की घोषणा की और उन्हें भूमि प्रदान की थी।

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मंच पर दिखे संजय निषाद

इस कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा,”मैं मंत्री असीम अरुण से अनुरोध करता हूँ कि वे इन जनजातियों के लिए भूमि और आवास उपलब्ध कराएं। ऐसे कदम उन्हें सच्ची आज़ादी प्रदान करेंगे। निषाद पार्टी के प्रमुख और राज्य मंत्री संजय निषाद ने हाल ही में भाजपा को विश्वास के मुद्दों पर अपनी पार्टी से नाता तोड़ने की चुनौती दी थी। वो भी सीएम के साथ मंच पर मौजूदगी को नजरंदाज नहीं कर सके।

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सीएम योगी की जमकर की तारीफ

संजय निषाद ने उत्तर प्रदेश और केंद्र की एनडीए सरकारों की जमकर तारीफ़ की। सीएम को इन पहलों के लिए धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि जो जनजातियां कभी पुलिस से भागती थीं, आज भाजपा सरकार के प्रयासों से उन्हें पुलिसकर्मी के रूप में भर्ती किया जा रहा है। सीएम ने जनजातियों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है और उन्हें लाभ का आश्वासन दिया है। यही असली पिछड़ा, दलित, आदिवासी (पीडीए) है।

‘भाजपा जैसी पार्टियां सत्ता में हों’

बता दें कि यह समाजवादी पार्टी के पीडीए नारे का संदर्भ था जिसे वह पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक पर ध्यान केंद्रित करने के रूप में परिभाषित करता है। सत्ताधारी गठबंधन में दरार के बीच निषाद ने राज्य और केंद्र की सरकारों के प्रति अपना समर्थन दोहराया और अपने समुदाय, पिछड़ी नदी तटीय जातियों, से गठबंधन का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मैंने आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों को सत्ता से बेदखल करने की शपथ ली थी। अयोग्य कांग्रेस, सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को सत्ता से बाहर होना चाहिए, जबकि भाजपा जैसी सक्षम ताकतें लखनऊ और दिल्ली में सत्ता में होनी चाहिए।

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सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल से उत्तर प्रदेश के 29 समुदायों को लाभ मिलने की संभावना है जिनकी संख्या अधिकारियों के अनुसार, लगभग 1.5 करोड़ है। सूत्रों के अनुसार इनमें से 14 समुदाय अनुसूचित जाति और नौ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में वर्गीकृत हैं। छह समुदायों को अन्य श्रेणी में रखा गया है। हालांकि, निषाद पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि ऐसी 193 जनजातियां, जातियां और उपजातियां हैं और उनकी वास्तविक संख्या, जो फिलहाल अज्ञात है, कहीं अधिक होगी।

राज्य में समुदाय की है राजनीतिक अहमियत

राज्यभर में फैले इन समुदायों का उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से लगभग 130-150 सीटों पर प्रभाव माना जाता है। उदाहरण के लिए ओबीसी श्रेणी में आने वाला बंजारा समुदाय आगरा, फर्रुखाबाद, हरदोई, मैनपुरी, मेरठ, सीतापुर, उन्नाव और इटावा में केंद्रित है। निषाद समुदाय के अंतर्गत आने वाली कुछ उपजातियां, बस्ती, सिद्धार्थनगर में केंद्रित हैं, जबकि ओबीसी मल्लाह समुदाय को अलीगढ़, बलिया, इटावा, बुलंदशहर, गोरखपुर, मिर्ज़ापुर, मथुरा, सोनभद्र और महाराजगंज में प्रभावशाली माना जाता है।

अनुसूचित जाति श्रेणी के अंतर्गत आने वाले समुदायों में, मुसहर समुदाय बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर और वाराणसी जैसे क्षेत्रों में प्रभावशाली माना जाता है, जबकि नट समुदाय इलाहाबाद, बिजनौर, फतेहपुर, झांसी, मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर में प्रभावशाली माना जाता है।