सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर कभी लुंगी-गंजी (बनियान) लेकर घर से निकले थे। उन्होंने लगभग 19 साल तक लोगों से मांगकर खाया है। ये बातें उन्होंने हिंदी समाचार चैनल ABP News के शिखर सम्मेलन के दौरान कहीं। हालांकि, पत्रकार पंकज झा ने उनके दावे पर ही चुटकी लेते हुए सवाल खड़े कर दिए और कहा कि उनकी (राजभर) कोई भी बात किसी को समझ नहीं आती है।
दरअसल, बातचीत की शुरुआत में पत्रकार ने राजभर के बारे में बताने के बाद उनसे पूछा था कि आपको मिठाई कौन सी पसंद है? जवाब आया, “जौनो मिल जाए, तौनो सही है।” यानी जो भी मिल जाए, वह ठीक है। इस पर झा ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम तो सोच रहे थे कि आपको जलेबी बहुत पसंद है।” राजभर ने कहा कि वह भी पसंद है। पत्रकार ने इसी पर तंज कसते हुए टिप्पणी की, “घुमाते रहते हैं न आप।” झा ने यह बात राजभर द्वारा उलझाने वाली स्थिति और बातें करने के संदर्भ में कही थी।
राजभर भी इस पर हंसने लगे और बोले- नहीं, जो मिल जाता है, वह खा लेते हैं। कपड़ा भी कोई दे देता है, तो उसे पहन लेते हैं। 19 साल से लोगों से मांग कर खा रहे हैं और लोगों के कपड़े पहनकर उनकी लड़ाई लड़ रहे हैं। हमको अंदाज है कि आपको इस देश में इतिहास मिलेगा कि मैं घर से एक झोला, लुंगी, चड्ढी और गंजी लेकर निकला था। लोग यकीन नहीं करते थे। मेरी जीवनी अगर आप समझेंगे तो…।
राजभर के इतना कहते ही पत्रकार ने बीच में उन्हें टोका और कहा- जो जीवनी आप समझा रहे हैं न, आपकी कुछ चीजें किसी को समझ नहीं आती हैं। हम तो यह जानना चाहते हैं कि आखिर ओपी राजभर खड़े कहां हैं और आप यूपी चुनाव में चाहते क्या हैं? देखें- बातचीत के दौरान आगे क्या हुआः
दरअसल, राजभर की गिनती उन नेताओं में की जाती है, जो लोगों की समझ से परे हैं। राजभर मूलरूप से यूपी के वाराणसी के निवासी हैं। साल 2002 में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी, जिसका पूर्वांचल के कई जिलों में खासा असर देखने को मिलता है। इनकी राजभर वोट पर पकड़ मानी जाती है और यूपी में करीब चार फीसदी यह वोट बैंक है।
साल 2017 में उनकी पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। राजभर का दल तब तीन सीटें जीता था। तीन सीट पर दूसरे और एक सीट पर तीसरे नंबर पर सुहेलदेव पार्टी रही थी। राजभर इसी साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार में कबीना मंत्री बनाए गए थे, जबकि दो साल बाद 2019 में मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने तब का आम चुनाव (2019) अपने दम पर लड़ा था।