पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अभी वक्त हैं। लेकिन सियासी पार्टियों ने अभी से इसकी तैयारियाँ शुरू कर दी है.भाजपा, तृणमूल, वाममोर्चा और कांग्रेस के साथ साथ ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) भी चुनाव लड़ेगी। इन घमासानों के बीच शिवसेना ने भी पश्चिम बंगाल चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के संकेत दिए हैं। शिवसेना इस चुनाव में करीब 100 उम्मीदवार उतार सकती है।
टाइम्स नाउ की खबर के अनुसार पश्चिम बंगाल चुनाव को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यहाँ का दौरा भी कर सकते हैं। शिवसेना कोलकाता, हुगली, दमदम समेत कई इलाकों में अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। हालाँकि चुनाव लड़ने पर अंतिम निर्णय 29 जनवरी को पार्टी मीटिंग में लिया जा सकता है।
शिवसेना के चुनाव लड़ने के फैसले से भारतीय जनता पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। बीजेपी इस चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। हालाँकि शिवसेना ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बंगाल में अपने उम्मीदवार उतारे थे। उस समय शिवसेना बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा हुआ करती थी।
शिवसेना के कदम से कई पार्टियाँ चौंक सकती है क्योंकि पिछले दिनों ही ओवैसी के बंगाल चुनाव में इंट्री की बात पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि कोई कुछ भी कर ले लेकिन बंगाल में जीतेगी तो ममता दीदी ही। संजय राउत ने यह भी कहा था कि ममता दीदी का राजनीतिक अनुभव बड़ा है, देश में जिस तरह से AIMIM चुनाव लड़ रही है और वोटों का बँटवारा कर रही है , उससे देश के मन में जरूर ये आशंका पैदा होती है कि ओवैसी की पार्टी का एजेंडा क्या है। लेकिन इसके बावजूद भी बंगाल में जीत ममता बनर्जी की ही होगी।
आपको बता दूँ कि पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं। 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को 211, लेफ्ट को 33, कांग्रेस को 44 और बीजेपी को मात्र 3 सीटें मिली थीं। हालाँकि 2019 के लोकसभा चुनाव बीजेपी ने बंगाल में शानदार प्रदर्शन किया।