कांग्रेस को त्रिपुरा में शनिवार (21 अगस्त, 2021) को झटका लगा है। सूबे में पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष (एक्टिंग चीफ) पीयूष कांति विश्वास ने पद से इस्तीफा दे दिया।

विश्वास ने समाचार एजेंसी एएनआई से इस बारे में कहा, “मेरे लिए पद से इस्तीफा देना बड़ा पीड़ादायी है। मैं सोनिया गांधी का शुक्रगुजार हूं, जो उन्होंने मुझे पार्टी की सेवा करने का मौका दिया। मैं सियासत से संन्यास ले रहा हूं और वापस अपने पेशे में लौटने को लेकर खुश हूं।”

उन्होंने अपने इस्तीफे से जुड़ी जानकारी ट्विटर पर साझा करते हुए कहा, “टीपीसीसी अध्यक्ष (कार्यवाहक) के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान आपके सहयोग के लिए मैं सभी कांग्रेस नेताओं, समर्थकों को हृदय से धन्यवाद देता हूं। आज मैंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है और राजनीति से भी संन्यास ले लिया है। सोनिया गांधी के प्रति मेरी हार्दिक कृतज्ञता।”

इससे पहले, सुष्मिता देव ने भी कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया था। उन्होंने पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस ज्वॉइन कर ली थी। ऐसे में सियासी गलियारों में सुगबुगाहट है कि विश्वास भी टीएमसी का हिस्सा बन सकते हैं।

कांग्रेस ने हाल ही में त्रिपुरा समेत तीन सूबों (सिक्कम और नागालैंड) का प्रभारी अजय कुमार को बनाया है। पूर्व आईपीएस अफसर की यह नियुक्ति बुधवार को हुई। कुमार 15वीं लोकसभा में झारखंड के जमशेदपुर से सांसद थे। 2019 में वहां के विस चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल की आप में जाने के लिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। हालांकि, वह पिछले साल सितंबर में पार्टी में वापसी कर गए थे।

इसी बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दावा है कि बड़ी संख्या में त्रिपुरा के नेता उनके नेतृत्व वाली टीएमसी का हिस्सा बन रहे हैं। त्रिपुरा का अगला विस चुनाव उन्हीं की पार्टी जीतेगी। बकौल दीदी, “वे (भाजपाई) हमें रोक नहीं सकते। त्रिपुरा में हम जीतेंगे। मैं चाहती हूं कि त्रिपुरावासियों को उन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले जो हमने पश्चिम बंगाल में शुरू की हैं।”

बता दें कि 60 विधानसभा सीटों वाले त्रिपुरा में फरवरी 2023 से पहले अगला चुनाव होना है, जबकि 13 मार्च 2023 को वहां की विस का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। इससे पहले, सूबे में फरवरी 2018 में चुनाव हुए थे। इलेक्शन के बाद बीजेपी ने सरकार बनाई थी, जिसमें बिप्लब कुमार देब सीए बनाए गए थे।