सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र ने दिल्ली को लेकर जो आर्डिनेंस पारित किया उसके खिलाफ अरविंद केजरीवाल संसद में मोदी सरकार से दो दो हाथ करने का मूड़ बनाकर बैठे हैं। वो देश के तमाम विपक्षी दलों से सहयोग मांग रहे हैं जिससे राज्यसभा में मोदी सरकार को मात दी जा सके। पटनी की बैठक में शामिल हुए 11 दलों ने केजरीवाल को आश्वस्त किया कि वो राज्यसभा में उनके साथ खड़े रहेंगे लेकिन कांग्रेस अभी भी चुप है।
आम आदमी पार्टी ने एक ट्वीट में कहा कि कांग्रेस वैसे देश से जुड़े मुद्दों पर स्टैंड लेती रहती है लेकिन दिल्ली के आर्डिनेंस के मामले में वो अभी तक चुप है। कांग्रेस नेशनल पार्टी है लिहाजा उसकी चुप्पी अखर रही है। आप का कहना है कि कांग्रेस की चुप्पी से उसकी मंशा संदेह के घेरे में आ रही है। अगर वो आर्डिनेंस को गलत मानती है तो वो आप का समर्थन क्यों नहीं करती। आप का कहना है कि पटना में 11 दलों ने उसका समर्थन किया है। सभी दलों का कहना है कि राज्यसभा में वोटिंग के दौरान वो आर्डिनेंस के विरोध में अरविंद केजरीवाल का साथ देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने माना था चुनी हुई सरकार को सर्वोच्च
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अपने एक अहम फैसले में दिल्ली की सरकार को असली ताकत माना था। अदालत का कहना था कि उप राज्यपाल दिल्ली के प्रशासनिक बॉस हो सकते हैं। लेकिन जहां असेंबली का दखल है वहां पर उप राज्यपाल दखल नहीं दे सकते।
अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के मसले पर सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि अगर सरकार के पास ये अधिकार ही नहीं होगा तो वो कैसे काम कर पाएगी। अफसर उसकी सुनेंगे ही नहीं। ऐसे में सरकार जो भी फैसले लेगी उन्हें धरातल पर लागू कराने में बहुत ज्यादा परेशानी पेश आएगी।
केंद्र ने आर्डिनेंस पास करके फैसले को कर दिया बेअसर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल की बांछें खिल गईं। उन्होंने ताबड़तोड़ अफसरों की ट्रांसफर के आदेश भी जारी किए। अलबत्ता केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक आर्डिनेंस पारित करा दिया। इसके मुताबिक दिल्ली के असली बॉस उप राज्यपाल की होंगे। उसके बाद से केंद्र के आर्डिनेंस की काट के लिए अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों से सहयोग मांग रहे हैं। लेकिन कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।