कैश फॉर जॉब स्कैम में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को आखिरकार अरेस्ट कर लिया। उनसे लंबे समय से पूछताछ की जा रही थी। उधर, ईडी दफ्तर गए मिनिस्टर जब घर वापस नहीं लौटे तो उनकी पत्नी ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। पत्नी एस मेघाला ने Habeas Corpus के तहत रिट दायर करके मांग की है कि उनके पति को उनके सामने लाया जाए।

एस मेघाला का कहना है कि उनके पति को बगैर किसी नोटिस के ईडी ने अरेस्ट किया है। ये कदम पूरी तरह से गैरकानूनी है। ईडी मनी लांड्रिंग के केस में वी सेंथिल से लंबे समय से पूछताछ कर रही थी। मिनिस्टर की पत्नी की याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस एम सुंदर और जस्टिस आर शक्तिवेल ने कहा कि वो अपने केस का नंबर लगवा लें। डबल बेंच दोपहर बाद याचिका की सुनवाई करके सच का पता लगाएगी।

मद्रास हाईकोर्ट ने मंत्री को दी थी राहत पर सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था फैसला

कैश फॉर जॉब स्कैम में वी सेंथिल बालाजी से लंबे अरसे से पूछताछ की जा रही है। हालांकि मद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें फौरी राहत देते हुए आदेश जारी किया था कि इस मामले में तमिलनाडु पुलिस फिर से एक नई जांच करे। लेकिन इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि इस मामले में ईडी नए सिरे से जांच करे।

वी सेंथिल बालाजी AIADMK सरकार में 2011 से लेकर 2015 के दौरान ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर थे। उस दौरान उनके महकमे में कई सारी सरकारी भर्तियां की गई थीं। मिनिस्टर पर आरोप है कि उनके इशारे पर एक रैकेट के जरिये नौकरी के इच्छुक लोगों से जमकर पैसा वसूल किया गया। इस मामले में ट्रांसपोर्ट महकमे के कई और अफसर भी शामिल हैं। ईडी ने जो जांच शुरू की है उसमें वी सेंथिल को मुख्य आरोपी बनाया गया है।

जानते हैं कि क्या होती है Habeas Corpus के तहत याचिका

हेबियस कॉर्पस लैटिन भाषा का शब्द है। इसका अर्थ होता है सशरीर। लेकिन कानूनी तौर पर इसका इस्तेमाल किसी ऐसे आरोपी की रिहाई के लिए किया जाता है, जिसे गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया हो। इसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कहते हैं। इसके तहत ही वी सेंथिल की पत्नी एस मेघाला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि उनके पति को ईडी ने गैर कानूनी तरीके से अरेस्ट कर लिया है।