अफगानिस्तान संकट को लेकर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी पर तंज कसा। पात्रा ने उनकी तुलना ऐसे फूफा से करा दी, जो शादी में रूठ जाते हैं।
यह जुबानी निशाना उन्होंने गुरुवार (26 जनवरी, 2021) को हिंदी समाचार चैनल आज तक के डिबेट शो के दौरान कही। ऐंकर चित्रा त्रिपाठी के साथ इस दौरान और भी मेहमान मौजूद थे। चर्चा में एक पल ऐसा आया, जब पात्रा अपनी बात रखते हुए बोले- जिस तरह से अफगानिस्तान से लोगों को वहां से निकाल कर भारत लाया गया, यह अपने आप में बड़ी प्रक्रिया है। चाहे अन्य दल हों या इकाइयां हों, सभी ने एक स्वर में हिंदुस्तान की आवाज को बुलंद किया है। 37 नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। यह अपने आप में बड़ी बात है। यह हिंदुस्तान की जीत है।
वह आगे बोले- जहां तक ओवैसी की बात है, तो ठीक है। आप घर में शादी भी कर लीजिए तो एक-आध फूफा जी नाराज हो ही जाते हैं। उसका कुछ कर नहीं सकते। मुझे लगता है कि उन्हें इसी तरह से लेना चाहिए। मैं इस गंभीर मामले में पर और आलोचना नहीं करना चाहता हूं।
आगे चर्चा में शामिल कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- जब भारत की अस्मिता और सुरक्षा का मसला आता है, तब मेरे और पात्रा के बड़े गहरे मतभेद हैं। पर उस पर हम साथ ही खड़े नजर आएंगे, क्योंकि भारत के आगे सबकुछ खत्म हो जाएगा। दूसरा- सरकार ने अच्छी पहल की है, पर और ऐसी पहल की जानी चाहिए। लेकिन हर सवाल का जवाब नहीं मिला है।
दरअसल, हालातों को लेकर सर्वदलीय बैठक के बाद ओवैसी ने सरकार पर सवाल दागे। उन्होंने टीवी न्यूज चैनल आज तक को बताया कि मीटिंग लंबी रही, पर जवाब गोलमोल कर के दिया गया। जो सवाल का जवाब चाहिए था, वह न मिला। बकौल ओवैसी, “क्या यूएपीए के तहत आप लिस्ट में उन्हें डालेंगे और आतंकी संगठन करार देंगे? आप अगर यह भी नहीं करते हैं, तब क्या टीवी चैनलों पर जाने वाले प्रवक्ताओं को दूसरों को तालिबानी बताने से रोकेंगे? उन्हें रोकिए न। ऐसे हमारे सवाल थे।”
उन्होंने यह भी कहा, हमने संसद में विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर 2013 में कहा था कि ये (तालिबानी) वापस आएंगे। वही दिन सही साबित हो गया। मोदी सरकार के कार्यकाल में कहा कि ऐसा हो रहा है। अमेरिका ने जब कह दिया कि वह निकलने वाले हैं और तारीख भी दे दी। फिर हम किस चीज का इंतजार कर रहे थे? आज क्या स्थिति है, सब जानते हैं। मैं टीवी पर नहीं बता सकता कि वे वहां से कैसे कॉन्सुलेट छोड़ कर आए हैं। किस किस चीज से उन्हें गुजरना पड़ा। जो सरकार के खिलाफ जाता है, उसे तालिबानी बता दिया जाता है। फिर करिए न…यूएपीए लगाइए।
‘काबुल एयरपोर्ट पर 95 अफगानों की मौत’: काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर बृहस्पतिवार को हुए आत्मघाती धमाकों में कम से कम 95 अफगानों की मौत हुई है। मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं होने के कारण नाम उजागर न करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि वास्तविक मृतक संख्या इससे भी ज्यादा होगी क्योंकि शव निकाले जा रहे हैं। अफगान और अमेरिकी अधिकारियों ने पहले कहा था कि अगस्त 2011 के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के लिए सबसे घातक दिन में, बम विस्फोटों में कम से कम 60 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए।