मनोज कुमार मिश्र

सरकार बार-बार सफाई देती रही। सरकार की ओर से हर स्तर पर कहा गया है कि न तो मंडी व्यवस्था खत्म की जा रही है और न ही सरकार किसी को किसानों की जमीन पर किसी का कब्जा होने जा रहा है।

असली समस्या ढाई एकड़ से कम जोत वाले 85 फीसद किसानों की है, जिनका हर तरह से शोषण होता आया है। उनके पास अपने फसल को मंडी तक ले जाने के साधन नहीं हैं और न ही फसल के भंडारण का इंतजाम। अगर चार-पांच किसान मिलकर किराए की गाड़ी से अपने उत्पाद मंडी में लेकर पहुंच भी जाएं तो वहां सक्रिय बिचौलियों को पता है कि वे किसी भी दाम पर अपने फसल को बेचने के लिए मजबूर हैं।

इसीलिए स्वामीनाथन आयोग ने एमएसपी तय करने के लिए समग्र लागत से पचास फीसद जोड़कर दाम तय करने का सुझाव दिया था। उस समग्र लागत में पूंजी, फसल के लिए लिए गए कर्ज, जमीन का किराया आदि शामिल हो। उस हिसाब से अभी धान का एमएसपी 1868 रुपए के बजाए 2700-2800 रुपए-और गेहूं का 1925 के बजाए 2800-3000 रुपए प्रति कुंतल होना चाहिए।

अभी कुल 23 उत्पादों के लिए ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय होता है। जबकि बड़ी तादाद में किसान फल, सब्जी, दूध, अंडा, मछली आदि डेयरी उत्पाद का उत्पादन करते हैं। एमएसपी में शामिल उत्पादों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही, यह गारंटी मिलनी चाहिए कि एमएसपी से कम दाम पर खरीदने वाले को सजा मिलेगी। केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि मंडियां बंद नहीं हो रही होगी।

पर सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि हर गांव में खरीद केंद्र काम करेंगे। ताकि छोटे किसानों को अपने फसल के वाजिब दाम के लिए दर-दर की ठोकर नहीं खानी पड़े। महेंद्र सिंह टिकैत का आंदोलन अस्सी के दशक के आखिर में चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की अगुवाई वाली भारतीय किसान यूनियन बेहद सक्रिय रही। केवल छठी तक पढ़े हुए टिकैत कहते थे कि किसान अकेली कौम है, जो ज्यादा फसल होने पर परेशान होती है और कम फसल होने पर भी परेशान रहती है। वे कहते थे कि किसान अकेली कौम है, जिसके फसल का दाम वे तय करते हैं जिन्होंने कभी खेती नहीं की।

चौधरी टिकैत जाटों के बालियान खाप के 84 गांवों के प्रधान थे। 1986 के शुरू में टिकैत के गांव सिसौली के पास शामली कस्बे के करमूखेड़ी बिजली घर पर बिजली के दामों में बढ़ोतरी का विरोध करते हुए दो किसानों की मौत पुलिस की गोली से हुई थी। बालियान खाप के किसानों ने बिजली घर पर शांतिपूर्ण घरना दिया। उस आंदोलन ने चौधरी टिकैत ने किसान यूनियन की बुनियाद रखी।उन्हें 17 अक्तूबर 1986 को यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया।

वह आंदोलन तब तक सफल रहा जब तक केवल किसानों का रहा। जैसे ही राजनीतिक दल उन्हें अपने पक्ष में करने में लग गए, आंदोलन भटक गया। टिकैत ने 1991 के विधान सभा चुनाव में अंतरात्मा की आवाज पर राम को लेकर वोट देने की अपील कर दी। इसे भाजपा का समर्थन मान लिया गया। उसी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बाद में उन्हें 31 दिसंबर1991 को गिरफ्तार करा दिया। बीमारी से परेशान टिकैत ने जेल से रिहा होने के बाद 1993 के विधान सभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव का समर्थन कर दिया। कैंसर से 2011 में उनका निधन हुआ। उसके बाद उनके दोनों पुत्र यूनियन को ताकतवर बनाने में लगे हुए हैं।