Bihar SIR: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले वोटर लिस्ट के पुनर्रीक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ADR द्वारा याचिका दायर की गई। इसमें कहा गया कि बिहार SIR के तहत चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों को लेकर कोई लिस्ट जारी नहीं की है। इसी मामले में अब कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है कि आखिर जिन 65 लाख लोगों का नाम वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट से हटा है, वे कौन हैं?

बिहार SIR से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जवल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने सुनवाई की। कोर्ट ने ADR की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। ADR की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तत्काल सुनवाई की मांग की है।

आज की बड़ी खबरें

प्रशांत भूषण ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि हमने एक याचिका दायर की है। उन्होंने (चुनाव आयोग) जो मसौदा रोल प्रकाशित किया है, उसमें कहा गया है कि 65 लाख मतदाताओं के नाम छोड़ दिए गए हैं। उन्होंने उन नामों की सूची नहीं दी है। प्रशांत भूषण ने कहा कि क्या लोग मर चुके हैं या पलायन कर चुके हैं, इस बात का चुनाव आयोग को खुलासा करना चाहिए। प्रशांत भूषण ने कहा कि आयोग को इस बात का खुलासा करना चाहिए कि 65 लाख लोग कौन है?

बिहार में वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिश

राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि को जानकारी न देने का दावा

प्रशांत भूषण ने कहा कि ये नाम बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की सिफ़ारिश के बिना सूची में शामिल किए गए हैं। प्रशांत भूषण ने कहा कि बीएलओ ने फॉर्म भेजते समय बताया है कि इस व्यक्ति की सिफ़ारिश बीएलओ ने नहीं की है। BLO ने सिफ़ारिश की है या नहीं… यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होगी। वहीं जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि चुनाव आयोग की एसओपी के अनुसार, राजनीतिक दलों के प्रत्येक प्रतिनिधि को ब्लॉक स्तर पर सूची उपलब्ध कराई जाएगी।

बिहार की वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट से कितनों का कटा नाम?

वहीं प्रशांत भूषण ने दावा किया कि ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी है। अगर उन्होंने किसी राजनीतिक दल को दी भी है, तो उसका कारण नहीं बताया गया है। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि यह केवल प्रारंभिक सूची का मसौदा है, तथा अंतिम सूची जारी होने पर कारण बताए जा सकते हैं।

बिहार में नहीं रुक रहा क्राइम!

चुनाव आयोग को शनिवार तक देना है जवाब

चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि चुनाव आयोग का दायित्व है कि वह मसौदा मतदाता सूची सार्वजनिक करे। उन्होंने कहा कि हम यह साबित कर सकते हैं कि हमने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ सूची साझा की है। पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि वह अपने जवाब में सारी जानकारी दे।

जस्टिस सूर्यकांत ने आयोग को शनिवार तक का समय देते हुए कहा कि अगर आपने जानकारी दी है तो कृपया उन राजनीतिक दलों की सूची भी दें जिन्हें आपने जानकारी दी है। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि प्रभावित होने वाले प्रत्येक मतदाता को अपेक्षित जानकारी मिले।

तेजस्वी यादव के पास दो-दो वोटर ID कार्ड?