सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार से पूछा कि कश्मीर में और कितने दिनों तक पाबंदी लगी रहेगी। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, “दो महीने हो गए, और कितने दिन कश्मीर में पाबंदी लगाकर रखेंगे?” कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि एक तारीख बताइए कि कब तक यह सब चलेगा। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 5 नवंबर तक टाल दी।

कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों और अनुच्छेद 35ए को खत्म करने के सरकार के निर्णय की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कश्मीर मामले की सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी। अनुच्छेद 370 के प्रावधान जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे जबकि अनुच्छेद 35ए इस राज्य के निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करता था। केन्द्र सरकार ने इन्हें पांच अगस्त को निरस्त किया था।

गैर सरकारी संगठन ‘वी द सिटीजन्स’ ने अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये शीर्ष अदालत में 2014 में याचिका दायर की थी। बाद में इसी मुद्दे को लेकर छह अन्य याचिकायें दायर की गयीं। इसी तरह, कुमारी विजयलक्ष्मी झा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 2017 में उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने के केन्द्र के पांच अगस्त के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं पर हाल ही में 14 नवंबर से सुनवाई शुरू करने का निश्चय किया था न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष बृहस्पतिवार को जब ये याचिकायें सुनवाई के लिये आयीं तो न्यायालय ने कहा कि ये पुराने मामले हैं और इनकी सुनवाई के लिये शीघ्रता की आवश्यता नहीं है।

पीठ ने कहा कि जब संविधान पीठ अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर निर्णय करेगी तो हम समझते हैं कि शायद इन याचिकाओं का औचित्य नहीं रह जायेगा। पीठ ने कहा कि ये मामले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के केन्द्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई में बाधक नहीं बनने चाहिए। शीर्ष अदालत ने बाद में कहा कि इन याचिकाओं को पहले से ही लंबित याचिकाओं के साथ 14 नवंबर को संविधान पीठ के समक्ष ही सूचीबद्ध किया जाये। पीठ ने यह भी कहा कि मार्क्सवादी पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी की याचिका भी संविधान पीठ ही सुनवाई करेगी। इस याचिका में येचुरी ने अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में उठे दूसरे मुद्दों का उल्लेख किया है।
(भाषा इनपुट्स के साथ)