किसानों का कूच टला! जिस दिन से यह खबर आई, उस दिन से अब तक किसान खबरों से गायब हैं। इन दिनों सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली हैं, सीटों के बंटवारे की खबरें। यूपी में सत्रह सीट पर कांग्रेस, बाकी पर सपा और अन्य दल… सपा का ‘पीडीए’ जिंदाबाद। इसी के साथ ‘यूपी के दो लड़के’ एक गाड़ी में दर्शन देते हैं और पुराने दृश्य याद आने लगते हैं। फिर ‘इंडी’ गठबंधन की खबर कि दिल्ली में भी ‘सीटों’ का बंटवारा हुआ। ‘आप’ चार पर, कांग्रेस तीन पर लड़ेगी! ‘इंडी’ गठबंधन जिंदा है!
सत्ता के प्रवक्ता: जेल जाने के डर से ये एक हो रहे हैं! विपक्ष प्रवक्ता: हमारी एकता से भाजपा डरी हुई है, तभी तो ईडी-सीबीआइ को पीछे लगाती है। ऐसे ही तर्क-कुतर्क बार-बार दोहराते रहते हैं। किसी भी ओर से एक भी नया तर्क नहीं आता। ऐसी बहसें बोर करती हैं। एक बहस में एक विपक्षी प्रवक्ता एंकर के लाल कपड़ों को देखकर ही भड़क उठता है। इस हरकत पर जब एंकर उसकी लानत-मलामत करती है और आवाज बंद कर देती है तो प्रवक्ता ठंडा होता है।
इन दिनों जब कहने को कुछ नहीं होता तो कुछ प्रवक्ता मीडिया को ही धमकाने लगते हैं। इसी बीच उस चैनल के रिपोर्टर को जमानत मिल गई, जिसे संदेशखाली की रिपोर्टिंग के अपराध में बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस शाम चैनल का एंकर जोर-जोर से कहता रहा कि ये है ‘फ्रीडम आफ स्पीच’ की जीत! ‘आजाद पत्रकारिता’ की जीत! सभी वकीलों को धन्यवाद, न्यायालय को धन्यवाद, जनता को धन्यवाद। हम ऐसी हिम्मतवाली पत्रकारिता करते रहेंगे।
फिर एक दिन एक नेता ने कह दिया कि ‘रोक सको तो रोक लो’। एक चैनल ने भी चर्चा कराई कि ‘रोक सको तो रोक लो’, यानी चार सौ पार करने से रोक सको तो रोक लो! ऐसी ‘सुपर हिट कैची लाइन’ को कौन रोक सकता है? तिस पर मोदी जी ने कह दिया कि जून में शुरू होगा हमारा तीसरा कार्यकाल! एक ओर भाजपा एक से एक ‘कैची लाइन’ दिए जा रही है, उधर विपक्ष की ओर से मुकाबले की एक पंक्ति तक नहीं आ रही। लगभग हर खबर चैनल में इन दिनों सरकार की विभिन्न लाभार्थी योजनाओं के विज्ञापन आते रहते हैं, लेकिन विपक्ष का एक विज्ञापन नहीं दिखता।
इसी बीच असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने एक जगह गरजते हुए एलान किया कि मैं 2026 तक बाल विवाह खत्म कर दूंगा। जवाब में कांग्रेस के एक मुसलिम प्रवक्ता एक चैनल पर बोलते रहे कि बाल विवाह खत्म करना अल्पसंख्यकों के जीवन में हस्तक्षेप है, जो गैर-संवैधानिक होगा। फिर एक दिन खबर रही कि राहुल अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को बीच में छोड़ कर बाहर चले गए, लेकिन इस बार की यात्रा चैनलों में वैसी खबर न बना सकी, जैसी कि पिछली बार बनाती रही।
इसके आगे खबरों में रहा राज्यसभा का चुनाव, जिसमें भाजपा ने विपक्ष को पछाड़ कर यूपी में आठ सीटें जीतीं और हिमाचल प्रदेश में तो ‘असंभव’ को ‘संभव’ किया। पच्चीस वोट वाली भाजपा के उम्मीदवार और कांग्रेस के उम्मीदवार प्रसिद्ध वकील अभिषेक मनु सिंघवी को 34-34 वोट मिले और जब लाटरी पड़ी तो भाजपा के उम्मीदवार जीत गए और सिंघवी हार गए।
इसके फलस्वरूप कई चैनल पूरे दिन हिमाचल प्रदेश की सरकार ‘गई’ कि ‘बची’ की खबरें देते रहे। साथ ही ‘आलाकमान आई’, कि ‘बातचीत जारी’ और कि ‘सब ठीक है’ आदि होता रहा! अगले दिन हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ने संवाददाता सम्मेलन कर बताया कि ‘विप’ के बावजूद बजट सत्र में उपस्थित न होने के कारण छहों विद्रोही विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से वंचित किया गया।
बहसों में कांग्रेसी प्रवक्ता आरोप लगाते रहे कि भाजपा ने तोड़फोड़ की है, कि ‘पैकेज’ चले हैं, यह अनैतिक है। जवाब में भाजपा के एक प्रवक्ता ने कहा कि हम राजनीति में भजन करने नहीं आए हैं। एक एंकर ने कटाक्ष किया कि सपा के भी कई वोट भाजपा ले गई, तो एक विपक्षी बोले कि हम अंतरात्मा की आवाज को महत्त्व देते है, हमारे यहां जनतंत्र है। भाजपा की तरह तानाशाही नहीं है कि कोई कुछ बोल नहीं सकता।
इस पर एक चर्चक ने कहा कि अपने दल को नहीं संभाल पाते और भाजपा को दोष देते हैं। यह ठीक नहीं। भाजपा तो ऐसा करेगी ही। वह ऐसा काफी दिनों से कर रही है, लेकिन ये सीखते ही नहीं। इस पर भी एक विपक्षी प्रवक्ता कहते रहे कि हम जनतंत्र में आस्था रखते हैं। अरे भैये! घर लुटा जा रहा है और आप ‘भज जनतंत्रम् भज जनतंत्रम् मूढ़मते’ ही गाए जा रहे हैं।
इसी बीच सीपीआइ ने ‘वायनाड’ से अपने उम्मीदवार को लड़ाने का फैसला करके कांग्रेस को ही हिला दिया। भाजपा प्रवक्ता कहे कि अब किस सीट से लड़ेगे राहुल! कांग्रेसी प्रवक्ता कहे कि राहुल वायनाड से ही लड़ेंगे और जीतेंगे। और अंत में, पचपन दिन बाद बंगाल पुलिस ने संदेशखाली के माफिया शाहजहां शेख को गिरफ्तार किया और इसका भी ‘श्रेय’ लेने से वहां की सत्ता न चूकी!