लोजपा में हुई टूट के बाद रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान पूरी तरह से अलग थलग पड़ गए हैं। साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा सभा चुनाव में खुद को प्रधानमंत्री मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान का साथ भाजपा ने भी छोड़ दिया है। बीते दिनों इसको लेकर चिराग पासवान का दर्द भी छलका। चिराग पासवान ने कहा कि हनुमान का वध होने पर यदि राम चुप रहे तो यह ठीक नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके पिता रामविलास पासवान हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे, लेकिन कठिन समय में उन्होंने साथ नहीं दिया।

भले ही रामविलास पासवान अंतिम दिनों में भाजपा के साथ रहे हों लेकिन उन्होंने अपनी अधिकांश राजनीति संघ परिवार और उसकी विचारधारा के खिलाफ ही की। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बात हो या गुजरात दंगों की, संघ को लेकर हमेशा उनके तेवर सख्त होते थे। ऐसे ही साल 1991 में रामविलास पासवान ने संघ परिवार को तेवर दिखाते हुए कहा था कि भिंडरावाला और आडवाणी में क्या अंतर है?  भिंडरावाला ने स्वर्ण मंदिर से राजनीति शुरू की और लालकृष्ण आडवाणी मंदिर से अपनी राजनीति शुरू करने जा रहे हैं।

रामविलास ने भाषण देते हुए कहा था कि भिंडरवाला और आडवाणी में क्या अंतर है? भिंडरवाला ने राजनीति शुरू की थी स्वर्ण मंदिर से और आप राजनीति शुरू कर रहे हैं मंदिर से। पूरा का पूरा लग रहा है कि जैसे पार्लियामेंट को ठाकुरबाड़ी बनाया जा रहा है। पार्लियामेंट में संविधान बनेगा, गरीब के लिए कानून बनेगा कि घड़ी घंट डुलाया जायेगा? जितने बाबा लोग हैं, सबको पकड़-पकड़ के लाया जा रहा है वहां। तो जब आज पौधा लगाइएगा वो, तो इसका रिज़ल्ट कल क्या होगा? और अब तो मान लेते हैं कि उत्तर प्रदेश में इनकी सरकार बनने वाली है, जाकर के मस्जिद को तोड़ दें।

 

1991 में आडवाणी के मंदिर आंदोलन के खिलाफ मुखर रहने वाले रामविलास पासवान 1999 में भाजपा सरकार में गठबंधन में शामिल हो गए। हालांकि बाद में साल 2002 में गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री काल में हुए दंगे के विरोध में रामविलास पासवान ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली सरकार से इस्तीफा दे दिया। लेकिन बाद में रामविलास पासवान साल 2014 में नरेंद्र मोदी के साथ हो गए और उनके दोनों कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री बने। 

8 अक्टूबर 2020 को रामविलास पासवान का निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनके अपने छोटे भाई पशुपति पारस ने उनके द्वारा बनाई गई पार्टी लोजपा को तोड़ दिया। लोजपा में टूट के बाद चिराग अकेले हो गए हैं। हालांकि रामविलास पासवान के पुराने राजनीतिक सहयोगी लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने चिराग को राजद के साथ आने का ऑफर दिया है। लेकिन चिराग ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। राजद ने पांच जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती भी मनाने का ऐलान किया है।