राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे के बाद अब हिंदू महासभा उसके साथी नारायण आप्टे की मूर्ति स्थापित करने की तैयारी में है। आप्टे भी महात्मा गांधी की हत्या में शामिल था और उसे गोडसे के साथ ही फांसी हुई थी।

नारायण आप्टे की मूर्ति भी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बनाई गई है लेकिन इसकी स्थापना अगले महीने मेरठ में की जाएगी। इस मूर्ति की कीमत करीब 45 हजार रुपए बताई जा रही है। हिंदू महासभा पहले भी ग्वालियर में गोडसे का मंदिर, ज्ञानशाला की स्थापना कर विवादों में रह चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसकी भनक लगते ही मेरठ पुलिस ने हिंदू महासभा भवन को घेर लिया है। मूर्ति अभी कहां है यह किसी को नहीं पता है।

‘दैनिक भास्कर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.जयवीर भारद्वाज ने पिछले दिनों ग्वालियर में हुई संगठन की बैठक में जानकारी दी कि मूर्ति तैयार है और सही समय पर इसे स्थापित किया जाएगा। बैठक में आप्टे को ‘शहीद कह कर संबोधित किया गया। बैठक में जिला अध्यक्ष, प्रदेश प्रवक्ता हरिदास अग्रवाल भी उपस्थित थे।

30 जनवरी 1948 यानी महात्मा गांधी की हत्या से एक दिन पहले 29 जनवरी को नाथूराम गोडसे जिन दो साथियों के साथ दिल्ली पहुंचा था उनमें एक नारायण आप्टे था। महात्मा गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे सहित 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिनमें विनायक दामोदर सावरकर और नारायण आप्टे भी शामिल थे। सावरकर को पर्याप्त सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया गया था, जबकि नारायण आप्टे को नाथूराम के साथ ही फांसी की सजा सुनाई गई थी।

अन्य 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी, जिनमें नाथूराम का छोटा भाई गोपाल गोडसे भी शामिल था। एक अन्य आरोपी दिगंबर रामचंद्र बड़गे था, जिसे बाद में सरकारी गवाह बनाया गया था। बड़गे ने अदालत में अपनी गवाही में सावरकर को महात्मा गांधी की हत्या की साजिश का सूत्रधार बताया था।