कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ‘असहिष्णुता’ के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार को बुधवार को निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया कि संविधान के जिन आदर्शो ने हमें दशकों से प्रेरित किया, उन पर खतरा मंडरा रहा है। उन पर हमले हो रहे हैं। सोनिया ने एनडीए सरकार का नाम लिए बिना कहा, ‘‘ हमें पिछले कुछ महीनों में जो कुछ देखने को मिला है, वह पूरी तरह से उन भावनाओं के खिलाफ है, जिन्हें संविधान में सुनिश्चित किया गया है। संविधान के जिन आदर्शो ने हमें दशकों से प्रेरित किया, उन पर खतरा मंडरा रहा है, उस पर हमले हो रहे हैं।’’

डा. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जन्मशती के अवसर पर लोकसभा में ‘‘भारत के संविधान के प्रति वचनबद्धता’’ विषय पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए सोनिया गांधी ने सत्ता पक्ष पर हमला करते हुए कहा, ‘‘ जिन लोगों को संविधान में कोई आस्था नहीं रही, न ही इसके निर्माण में जिनकी कोई भूमिका रही है, वो इसका नाम जप रहे है, अगुवा बन रहे हैं। संविधान के प्रति वचनबद्ध होने पर बहस कर रहे हैं। इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है।’’ सोनिया ने कहा, ‘‘ डा. अंबेडकर ने चेताया था कि कोई भी संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो लेकिन अगर उसे लागू करने वाले बुरे हों, तो वह निश्चित रूप से बुरा ही साबित होगा और कितना भी बुरा संविधान क्यों न हो लेकिन उसे लागू करने वाले अच्छे हों, तो वह अच्छा साबित हो सकता है। संविधान की आत्मा, भावना का महत्व उतना ही है जितना इसके शब्दों का।’’

संविधान के निर्माण और डा. अंबेडकर पर कांग्रेस पार्टी की दावेदारी पेश करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी का ही कमाल था कि संविधान निर्माण से जुड़ी हर घटना निश्चित आकार में प्रस्तुत की जा सकी। इस लिहाज से इस पर कांग्रेस पार्टी का हक बनता है। उन्होंने कहा कि यह बात आमतौर पर भुला दी जाती है कि डा. बी आर अंबेडकर की अनोखी प्रतिभा को पहचान कर ही कांग्रेस पार्टी उन्हें संविधान सभा में लाई। यह इतिहास है। सोनिया ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डा. अंबेडकर के अलावा जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, डा. राजेंद्र प्रसाद के योगदान की भी चर्चा की। सोनिया ने कहा कि इस संबंध में महात्मा गांधी को नहीं भूला जा सकता जिन्होंने 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में मूलभूत अधिकारों, आर्थिक नीति, महिला अधिकारों के समावेश को महत्व दिया था।

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