बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हाल ही में कहा था कि राहुल गांधी की राजनीति में बदलाव आया है। इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम आइडिया एक्सचेंज के दौरान उन्होंने 2024 के चुनाव नतीजों, अमेठी में हार, मोदी 3.0 और अल्पसंख्यकों के साथ भाजपा के रिश्ते पर बात की।

आप राहुल गांधी और उनकी राजनीतिक शैली की मुखर आलोचक रही हैं लेकिन हमने 2024 के नतीजों से पहले और बाद में आपके बयानों में थोड़ा अंतर देखा है। क्या आप उन्हें एक बदले हुए व्यक्ति के रूप में देखती हैं? इस सवाल के जवाब में स्मृति ने कहा कि मुझे लगता है कि वह उस आलोचना के हकदार थे, खासकर एक नीति निर्माता के रूप में जिसका मंत्रिमंडल में स्थान था। मैं उन तथ्यों से अच्छी तरह वाकिफ थी जिन पर मैंने बात की।

बीजेपी नेता ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि जब आपको प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया जाता है, चाहे वह सरकार के किसी नीतिगत मामले के लिए हो या जब आपको प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी पार्टी के विचार प्रस्तुत करने के लिए पेश किया जाता है, तो आप उस मुद्दे पर पार्टी या सरकार की भावनाओं के बारे में विस्तार से बोलते हैं।”

मैंने कभी राहुल गांधी की तारीफ नहीं की- स्मृति ईरानी

राहुल गांधी की राजनीति में किस तरह से बदलाव आया है, इस बारे में मुझे लगता है कि उनकी राजनीति पर असर इस बात में देखा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी फिर से सत्ता में आ गए हैं। मैंने उनकी बदली हुई रणनीतियों पर अपनी राय दी है। लेकिन, जब मैं कहती हूं कि वह एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ खड़ा करके समाज और समुदायों में टकराव का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, तो कोई भी राजनीति में नौसिखिया इसे तारीफ के तौर पर देखेगा। मुझे लगता है कि मैंने उनके बारे में अपने विश्लेषण में बहुत ज़्यादा बातें कीं लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैंने किसी भी तरह से उनकी तारीफ की।”

जुलाई में राहुल गांधी ने एक बयान में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आपके प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने से बचने का आग्रह किया था। क्या आपको लगता है कि हमारे सार्वजनिक संवाद में और अधिक शिष्टता होनी चाहिए, जो कि लगातार कटु होता जा रहा है?

इस सवाल पर स्मृति ने कहा, “मुझे लगता है कि राहुल गांधी इस बात से परिचित थे कि अमेठी में मेरे काम और योगदान को पूरे देश में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। मैंने बहुत कुछ ऐसा किया जो परिवार की संयुक्त ताकत ने अपने तथाकथित पारिवारिक गढ़ में नहीं किया था। पहले इस तरह के योगदान को राष्ट्रीय या सार्वजनिक मान्यता नहीं मिलती थी। क्योंकि अब मीडिया में संचार के कई माध्यम हैं, इसलिए पूरे देश में लोग जानते हैं।”

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गांधी परिवार ने सभ्यता का दिखावा करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को भाषा पर ध्यान देने को कहा

स्मृति ने आगे कहा, “जब मुझे गाली दी जा रही थी तो यह गांधी परिवार के लिए शायद ठीक नहीं था। इसलिए, मुझे लगता है कि यह परिवार की ओर से सभ्यता की भव्यता दिखाने के लिए था न कि इस विश्वास के लिए कि बातचीत सभ्य होनी चाहिए।”

2024 लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद क्या आया जीवन में बदलाव?

2024 लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद अपने जीवन में आए बदलाव के सवाल पर स्मृति ने कहा कि यह बहुत ही रोचक है जब मौन भी उतनी ही जोरदार आवाज में बोलता है जितना कि एक्शन। मुझे करीब ढाई दशक तक मीडिया और राजनीति में रहने का सौभाग्य मिला है। 48 साल की उम्र में किसी व्यक्ति के लिए दो क्षेत्रों में प्रासंगिकता और प्रभाव पैदा करना बहुत दुर्लभ है।

भाजपा नेता ने आगे कहा, “4 जून के बाद जीवन बिल्कुल वैसा ही है जैसा पहले था। केवल कुछ प्लेटफ़ॉर्म पर विजिबिलिटी का अंतर हो सकता है लेकिन वे भी रणनीतिक निर्णय हैं। पिछले 10 सालों में, मुझे मुश्किल से 5 दिन की छुट्टी मिली होगी।”

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चुनाव के बाद आपने जो बयान दिया था, उसमें से एक यह था कि अमेठी हारना आपके लिए भावनात्मक और वैचारिक मुद्दा था। क्या आप इस पर विस्तार से बता सकती हैं?

स्मृति बोलीं- मेरे लिए अमेठी एक भावनात्मक मुद्दा

इस सवाल के जवाब में बीजेपी नेता ने कहा, “मेरे लिए अमेठी एक भावनात्मक मुद्दा है क्योंकि यह एक वैचारिक युद्ध का मैदान है। मुझे 2014 में पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए अमेठी सौंपा था। अगर आप अमेठी की पृष्ठभूमि देखें तो आप पाएंगे कि मैं पांच साल पूरे करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी सांसद हूं। अमेठी में गांधी परिवार के अलावा कभी कोई महिला नहीं जीती है।”

आप दिल्ली में पैदा हुईं और पली-बढ़ी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आप दिल्ली में राजनीतिक भूमिका निभाएंगीं। क्या हम आपको राजनीतिक रूप से सक्रिय देखेंगे?

इस सवाल के जवाब में स्मृति ने कहा, “कौन कहता है कि मैं राजनीतिक रूप से निष्क्रिय हूं? चुनावी राजनीति नेतृत्व का निर्णय होता है। मेरे लिए सबसे बड़ी खुशकिस्मती की बात यह है कि मैं भाजपा के सबसे ज्यादा राजनीतिक रूप से अनुभवी उम्मीदवारों में से एक हूं।”

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ” मैं गुजरात से दो बार सांसद रही हूं। मैं उत्तर प्रदेश से सांसद रही हूं। मैं महाराष्ट्र में भाजपा युवा मोर्चा का उपाध्यक्ष रही हूं। जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब मुझे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नियुक्त किया गया था। जब राजनाथ जी अध्यक्ष थे, तब मैंने राष्ट्रीय सचिव के रूप में काम किया। फिर नितिन जी सामने आए, मैं महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी। जब भी गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बंगाल में कोई चुनाव होता है, मेरा नाम किसी न किसी तरह हर जगह सामने आता है। माना जाता है कि मैं एक प्रतिबद्ध तथाकथित ‘राजनीतिक इकाई’ हूं, जिसका किसी भी अटकलबाजी के लिए फायदा उठाया जा सकता है।”