माकपा की अगुवाई में विपक्ष ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या और जेएनयू से जुड़ी घटना को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला और घटनाओं की जांच के लिए संसदीय समिति गठित करने की मांग की। उधर सत्ता पक्ष ने जोर दिया कि विश्वविद्यालय को देशविरोधी गतिविधियों का केंद्र नहीं बनने देना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय के विशेष संदर्भ में केंद्रीय उच्चतर शिक्षा संस्थानों में उत्पन्न स्थिति पर राज्यसभा में अल्पकालिक चर्चा की शुरुआत करते हुए माकपा नेता सीताराम येचुरी ने इन घटनाओं की जांच के लिए संसदीय समिति गठित करने की मांग की। उन्होंने जेएनयू घटना का जिक्र करते हुए कहा कि विश्वसनीय सबूत के आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन पूरे विश्वविद्यालय को दंडित करना और उसकी छवि खराब करने का प्रयास करना उचित नहीं है। विश्वविद्यालय के छात्र रहे लोग आज सरकार के अलावा प्रशासन में भी महत्त्वपूर्ण पदों पर हैं। ऐसे में पूरे विश्वविद्यालय पर अंगुली उठाना उचित नहीं है। उन्होंने इस क्रम में गृह मंत्री राजनाथ सिंह और दिल्ली पुलिस पर भी निशाना साधा।

येचुरी ने अदालत परिसर में छात्रों और पत्रकारों के साथ वकीलों द्वारा मारपीट की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस अब नियम उलटते हुए छात्रों से कह रही है कि वे अपने को निर्दोष साबित करें। अदालत में न्याय के बदले पिटाई की गई और इसमें भाजपा के एक विधायक भी शामिल थे। इस घटना पर न्यूयार्क टाइम्स के साथ ही यूरोप के प्रतिष्ठित अखबार तक में संपादकीय प्रकाशित हुआ जिसमें सरकार, पुलिस आदि के बारे में प्रतिकूल टिप्पणी की गई है। लोगों को संविधान के तहत अधिकार मिले हुए हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपने विरोधियों को निशाना बना रही है। वह भी आजादी की बात करते हैं लेकिन यह आजादी मनुवाद, संघवाद, भूख आदि से होनी चाहिए। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आप जो कहेंगे, वही राष्ट्रवाद नहीं है। वामपंथियों के खिलाफ की गई टिप्पणियों को लेकर भी येचुरी ने भाजपा और सरकार पर निशाना साधा और कहा कि वे अपने विरोधियों का दमन करना चाहते हैं। येचुरी ने सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि सरकार संविधान के खिलाफ काम कर रही है। रोहित की आत्महत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि स्थिति ऐसी बना दी गई कि छात्र को आत्महत्या करनी पड़ी। छात्र की छात्रवृत्ति रोकना हत्या के समान था।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में केंद्रीय मंत्री ने हस्तक्षेप किया और मंत्रालय के अधिकारियों ने विश्वविद्यालय को कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाया। सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि हम हमेशा आतंकवाद के खिलाफ रहे हैं और हमें देशभक्ति बताने की जरूरत नहीं है। आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ देशद्रोह कानून का इस्तेमाल किया गया और अब छात्रों पर यह कानून लगाया जा रहा है।

भाजपा के भूपेंद्र यादव ने जेएनयू की घटना को लेकर माकपा पर निशाना साधते हुए जेएनयू में नौ फरवरी की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वहां ऐसे परचे बांटे गए थे जिसमें देशविरोधी बातें की गई थीं। कांग्रेस, माकपा आदि दलों के कुछ सदस्यों ने यादव का विरोध करते हुए सवाल किया कि उस परचे का लेखक कौन है और किसने उसे प्रमाणित किया है। टोकाटोकी के बीच यादव ने कहा कि न सिर्फ परचा बांटा गया बल्कि वहां पोस्टर भी लगाए गए थे जिसमें देशविरोधी बातें लिखी हुई थीं।

उन्होंने इस क्रम में माकपा के छात्र संगठन एसएफआइ द्वरा लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देशद्रोह की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अभिव्यक्ति की आजादी और आजादी की अभिव्यक्ति के बीच अंतर करना होगा। उन्होंने माकपा पर विशेष रूप से हमला बोला और कहा कि उसे बताना चाहिए कि उसके पोलितब्यूरो में कितने दलित सदस्य हैं।