चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर का कहना है कि राहुल गांधी को अपनी भारत जोड़ो यात्रा गुजरात या फिर बीजेपी शासित राज्य जैसे यूपी या एमपी से शुरू करनी चाहिए थी। उनका मानना है कि इससे यात्रा का असर जोरदार होता और कांग्रेस को फिर से अपने पैरों पर खड़ा होने की ताकत मिल सकती थी।
विदर्भ को अलग स्टेट बनाने के मुद्दे पर नागपुर पहुंचे प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनावी सूबे से राहुल गांधी अपनी यात्रा शुरू करते तो उसका परिणाम कुछ और ही देखने को मिलता। इससे बीजेपी को सीधे तौर पर चुनौती दी जा सकती थी और राहुल गांधी को अपने दम पर खड़े होने में कामयाबी हासिल होती।
ध्यान रहे कि राहुल गांधी ने ये यात्रा तमिलनाडु से शुरू की थी। उसके बाद से यात्रा दक्षिण के सूबों में ही घूम रही है। यात्रा शुरू करने का ध्येय सीधे तौर पर बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस को खड़ा करने का है। लेकिन प्रशांत मानते हैं कि दक्षिण के राज्यों में जोर देने से कांग्रेस को बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिलने जा रहा है।
प्रशांत किशोर के कांग्रेस जॉइन करने की अटकले कुछ अरसे पहले तक काफी आम थीं। उनकी इस सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से कई दौर की मुलाकात भी हुई। पीके ने उन्हें कांग्रेस के भविष्य को लेकर अपनी रणनीति भी समझाई। लेकिन आखिरी लम्हे में दोनों ने अपने कदम पीछे खींच लिए। माना जा रहा है कि कांग्रेस के एक धड़े को रास नहीं आया कि पीके कांग्रेस में किसी कद्दावर जगह पर बैठकर उनके ऊपर हुकूमत करें। उनके विरोध के बाद ही सोनिया गांधी ने उनकी वीआईपी एंट्री पर अपनी सहमति नहीं दी।
कांग्रेस ने पीके को जो जिम्मेदारी देने की बात कही वो उस पर राजी नहीं थे। जो प्रशांत चाहते थे वो कांग्रेस उन्हें देने को तैयार नहीं थी। उसके बाद उनके कांग्रेस से जुड़ने की बातों पर विराम लग गया। फिलहाल पीके बिहार की सियासत में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। नोंकझोंक के बाद कुछ दिन पहले उनकी बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात भी हुई थी।