महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी शामिल है। 2019 के विधानसभा चुनाव के शिवसेना ने अपने वैचारिक विरोधी कांग्रेस और शिवसेना से गठबंधन कर लिया था और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसी को लेकर जब शिवसेना नेता संजय राउत से यह पूछा गया कि आपने कांग्रेस के साथ गठबंधन क्यों किया तो उन्होंने कहा कि जब भाजपा को मोदी लहर दिखने लगा तो वे सीट बंटवारे का व्यापार करने लगे।
आजतक न्यूज चैनल पर आयोजित सीधी बात कार्यक्रम में जब एंकर प्रभु चावला ने पूछा कि आपको तो कई मौके मिले जब आप कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर सकते थे। इसके जवाब में संजय राउत ने कहा कि हमने किसी के साथ भी सता को लेकर समझौता नहीं किया। साथ ही उनसे जब यह पूछा गया कि इस बार आपने कांग्रेस के साथ गठबंधन क्यों किया तो उन्होंने कहा कि यह हमारे ऊपर बीजेपी ने थोप दिया। बीजेपी ने हमको इस तरह धकेल दिया की वो अब हमारे साथ नहीं रहना चाहते थे।
आगे संजय राउत ने कहा कि 2014 में हमने बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं तोड़ा। बीजेपी ने हमारा गठबंधन तोड़ा है। हम तो कहते थे कि हम हिंदू विचारधारा लेकर एक साथ आए हैं और अब आपको (भाजपा) मोदी जी की लहर दिखती है तो आपने हमारे साथ सीटों का व्यापार करना शुरू कर दिया। ये ठीक नहीं है।
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि बाला साहब ठाकरे का एक फार्मूला होता था कि चाहे हम कुछ मिले या ना मिले दिल्ली में भाजपा की सरकार बननी चाहिए। महाराष्ट्र में हम काम करेंगे। दिल्ली में आप हमारे बड़े भाई हैं, हम आपका आदेश ज़रूर मानेंगे। आप जो कहेंगे उसके लिए हम ब्लैंक पेपर पर सिग्नेचर करेंगे। लेकिन महाराष्ट्र में हम बड़े भाई हैं। बाद में अचानक से भाजपा को यह फार्मूला रास नहीं आया। वो ये कहने लगे कि दिल्ली में भी हम रहेंगे और मुंबई में भी हम ही रहेंगे।
इंटरव्यू के दौरान संजय राउत से जब यह पूछा गया कि क्या आप सत्ताजीवी हैं तो उन्होंने कहा कि सत्ताजीवी तो हम कभी नहीं थे। अगर सत्ताजीवी रहते तो बीजेपी के साथ 25 साल तक इतनी प्यारी दोस्ती नहीं होती। हम सत्ताजीवी नहीं हैं बल्कि हिंदूजीवी हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हम सत्ता में ज़रूर हैं लेकिन हम सत्ता जीवी नहीं हैं।