नागरिकता संशोधन बिल को लेकर उत्तर पूर्वी राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं विपक्षी पार्टियों के साथ ही बड़ी संख्या में लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं। हालांकि भारी विरोध के बावजूद यह बिल पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से भी पास हो चुका है। खास बात ये है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार में होने के बावजूद शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया। खबर है कि राहुल गांधी, शिवसेना के इस कदम से खासे नाराज भी हुए हैं।
एनडीटीवी के एक लेख के अनुसार, शिवसेना द्वारा लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने से महाराष्ट्र में सरकार पर संकट के बादल छा गए थे! हालांकि एक बार फिर एनसीपी चीफ शरद पवार कांग्रेस और मध्यस्थता कर स्थिति को संभाल लिया। बता दें कि कांग्रेस पार्टी नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रही है। ऐसे में जब शिवसेना ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया तो राहुल गांधी इस बात से खासे नाराज हुए। जिसके बाद शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली सरकार को लेकर चिंताएं उभर गई।
इस पर शरद पवार ने सोनिया गांधी और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कांग्रेस नेता अहमद पटेल से मुलाकात कर स्थिति को संभालने का प्रयास किया। बुधवार को महाराष्ट्र में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ने भी उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। इन मुलाकातों का ही असर रहा शायद जिसके चलते राज्यसभा में हुई नागरिकता संशोधन बिल की वोटिंग का शिवसेना ने बहिष्कार किया।
बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र में जब शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत चल रही थी, तब भी शरद पवार ही थे, जिन्होंने इस गठबंधन के बनने में अहम भूमिका निभायी थी। कांग्रेस, शिवसेना की हिंदुत्ववादी छवि के चलते सरकार में शामिल होने के पक्ष में नहीं थी। इस पर शरद पवार ने ही पुल की तरह काम करते हुए दोनों दलों के बीच सहमति बनायी थी। CAB के रुप में इस गठबंधन के सामने पहली चुनौती आयी थी, जिसे भी शरद पवार अपने अनुभव से सुलझाने में कामयाब रहे।