नए कृषि कानूनों पर गतिरोध सुलझाने की कोशिश में केंद्रीय मंत्रियों ने बुधवार को ‘भोज-भात’ की पारंपरिक परिपाटी का सहारा लिया। किसानों का नमक खाया। वार्ता के बीच भोजन अवकाश के दौरान तीन केंद्रीय मंत्री किसानों के लंगर में शामिल हुए। इससे पहले हर बार मंत्री-सरकारी अफसर और किसान अलग-अलग भोजन करते रहे। सरकार की ओर से आज भी भोजन की व्यवस्था थी, लेकिन उसमें किसान शामिल नहीं हुए। अलबत्ता, उन्होंने मंत्रियों को लंगर के लिए आमंत्रित जरूर किया।

किसानों ने अब तक छह दौर की वार्ताओं में सरकार की ओर से दिए गए भोजन और चाय-पानी को हाथ नहीं लगाया था। बैठकों के दौरान किसान नेताओं ने खुद अपने भोजन, चाय-नाश्ते की व्यवस्था की थी और सरकार ने भोजन के लिए जो आयोजन किया था, वहां खाने से इनकार कर दिया था। बुधवार की वार्ता के दौरान किसानों के लंगर में तीनों केंद्रीय मंत्री पहुंचे और प्लेट लेकर भोजन लेने पहुंचे।

किसान नेताओं के मुताबिक, इससे पहले भी लंगर में मंत्रियों को आमंत्रित किया जाता रहा। बुधवार को पहली बार मंत्रियों ने निमंत्रण स्वीकार किया। विज्ञान भवन में वार्ता आरंभ होने के करीब दो घंटे बाद बैठक स्थल के पास एक वैन से किसानों के लिए लंगर पहुंचाया गया। वार्ता के दौरान कुछ देर का भोजनावकाश रखा गया। किसानों के साथ लंगर में तीनों मंत्री- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश शामिल हुए।

तीनों मंत्री प्लेटें लेकर लंगर में भोजन की कतार में खड़े हुए। इस दौरान कई किसान प्रतिनिधियों ने मंत्रियों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। किसानों के प्रदर्शन का बुधवार को 35वां दिन था। वार्ता के दौरान 500 लोगों का भोजन लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी की गाड़ी विज्ञान भवन पहुंची थी।

किसान हर बार अपना भोजन लेकर बैठक में पहुंचते रहे। इससे पहले, तीन दिसंबर को किसान नेताओं ने सरकारी भोजन ठुकरा दिया था। उनका कहना था कि वह सरकारी पैसे की न चाय पीएंगे और न ही भोजन करेंगे। वे विज्ञान भवन में लंच करने नहीं, बल्कि अपनी मांगें पूरी करवाने के लिए पहुंचे हैं।