Saradha Ponzi Scam मामले में महाराष्ट्र के मुंबई में सोमवार को छह जगह छापेमारी की गईं। ये रेड प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के तीन टॉप अफसरों के घर और दफ्तरों पर की हुईं। घोटाले के वक्त ये तीनों पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलाकाता में तैनात थे। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, साल 2009-13 के बीच कोलकाता में पोस्टिंग के दौरान इन अधिकारियों की जो भूमिका थी, वह फिलहाल जांच के दायरे में है। इसी बीच, न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा ने बताया कि अधिकारियों ने यह जानकारी दी लेकिन इन तीन अधिकारियों के नाम उजागर नहीं किए।

पश्चिम बंगाल में शारदा समूह के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज हैं। इनमें आरोप लगाया गया है कि शारदा समूह के अधिकारियों और उनके सहयोगियों ने अपनी जाली योजनाओं के जरिए हजारों निवेशकों को ठगा। उच्चतम न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी और राज्य सरकार के अधिकारियों को मामले की जांच के लिए एजेंसी के जांच दल की हर मदद करने का निर्देश दिया था। इस समय CBI मुंबई में SEBI के तीन अधिकारियों के कार्यालयों और आवासों की तलाशी ले रही है।

शारदा समूह द्वारा की गई धोखाधड़ी के मामले में ये तलाशी ली जा रही है। एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि ये अधिकारी मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) और महाप्रबंधक (जीएम) के पद पर नियुक्त थे।

अप्रैल 2013 में ये मामला सामने आया था। जब समूह जमाकर्ताओं को उनकी रकम लौटा नहीं सका था। समूह ने विभिन्न सामूहिक निवेश योजनाओं के माध्यम से 17 लाख छोटे निवेशकों से 2,400 करोड़ रुपये जुटाए थे।

चिट फंड की नाकामी के चलते कई लोगों ने आत्महत्याएं की। इसके बाद, समूह के अध्यक्ष, सुदीप्त सेन को अपने दो सहयोगियों के साथ जमाकर्ताओं को धोखा देने के लिए गिरफ्तार किया गया था। कई टीएमसी नेताओं को शारदा घोटाले से जुड़ा पाया गया है। समूह अभी तक निवेशकों की 1,876 करोड़ रुपये की राशि लौटा नहीं सका है।

कंपनी ने एक सामूहिक निवेश योजना चलाई। जिसका असली उद्देश्य “निवेशकों के लिए कुछ रियल एस्टेट परियोजनाओं को दिखाकर जनता से फंड जुटाना” और अप्रत्यक्ष रूप से “उच्च ब्याज दरों के साथ धन की वापसी” का वादा करना था।

कंपनी के पास 10,000 रुपये से लेकर 100,000 रुपये तक के योगदान की योजना थी। जिसमें 15 महीने से लेकर 120 महीने तक की अवधि तय रखी गई थी।