बिना मास्क के दिल्ली की ओर मार्च करते किसानों की तस्वीर को शेयर करते हुए बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने किसानों को गैर जिम्मेदार ठहराया है। नेता ने कहा कि ये लोग किसान नहीं हैं। किसान होते तो कोरोना के चलते दिल्ली की स्थिति को खराब करने मार्च नहीं करते। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट किया,’ गैरजिम्मेदाराना!! ये लोग किसान नहीं हो सकते हैं!! दिल्ली में महामारी से पैदा हुए हालात में स्थिति को बिगाड़ने के लिए भला कौन दिल्ली की ओर मार्च करना चाहेगा ?’
इसका जवाब देते हुए ट्विटर यूजर संदीप (@PsynemaScope) ने लिखा कि बंगाल में तुम्हारा आका जो कर रहा है वो कैसे अलग है? साहिल सिंह (@RealSahilSingh) ने जवाब दिया, बंगाल चुनाव में रोड शो और रैली वो गैरजिम्मेदाराना नहीं है क्या? जनता मर रही है और तुम लोग प्रचार में लगे हुए हो। बता दें कि बुधवार को किसानों ने कोविड के प्रतिबंध के बावजूद पंजाब से दिल्ली की टिकरी सीमा की ओर बड़ी संख्या में मार्च किया। यह दावा करते हुए कि किसान कोविड -19 और सरकार दोनों के खिलाफ लड़ रहे हैं किसान नेताओं ने कहा कि वे महामारी के दौरान अपनी जिम्मेदारी समझते हैं, लेकिन विरोध करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है।
IRRESPONSIBLE!!
These cannot be Farmers!!
Why would anyone like to further jeopardise an already catastrophic situation in Delhi? https://t.co/pP2BbVcd2e— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 22, 2021
उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से टीकाकरण करवाने की अपील की। किसानों ने यह भी दोहराया कि धरने आपातकालीन सेवाओं में कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर रहे हैं। बीकेयू (उगरान) की बठिंडा इकाई के अध्यक्ष और यूनियन के उपाध्यक्ष शिंगारा सिंह मान ने हजारों किसानों के साथ बठिंडा-डबवाली रोड से काफिले का नेतृत्व किया।
उन्होंने कहा, “मैं 61 साल का हूं और मैंने खुद को टीका लगवाया है। मेरी दूसरी खुराक मई के दूसरे सप्ताह में होने वाली है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोरोना एक बीमारी है, लेकिन यह अनुमान के अनुसार घातक नहीं है। हालाँकि, हमारी यूनियन की पूरी स्टेट कमेटी को पहली खुराक मिल गयी है और हमें अगले महीने दूसरी खुराक मिल जाएगी। हमारे अध्यक्ष पिछले महीने कोविड पॉजिटिव पाए गए थे और हम अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं। ”
किसान नेता ने कहा: “अगर हरियाणा सरकार बहादुरगढ़ क्षेत्र में किसी टीकाकरण शिविर का आयोजन करेगी, तो हम अपने सदस्यों से खुद टीकाकरण करने की अपील करेंगे। सरकार ने सितंबर में कृषि कानूनों को पारित करने के बाद हम सभी को खतरे में डाल दिया। कोविड के प्रबंधन के बजाय, उन्होंने हमें सड़कों पर आने के लिए मजबूर किया। अन्यथा, ग्रामीण लॉकडाउन लागू करने के लिए गाँव में पहरा देने में व्यस्त थे।”