राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने एक बयान में फिर से आरक्षण का मुद्दा उठाया है। एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि ‘देश में आरक्षण के लिए कानून तो बने हैं लेकिन इसका लाभ सभी को नहीं मिल पा रहा है। जिनका जहां प्रभुत्व है वो इसका लाभ ले रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे माना है।’

हालांकि आरएसएस चीफ ने ये भी कहा कि ‘समाज में जब तक जरूरत है तब तक आरक्षण लागू रहना चाहिए। इसे मेरा पूरा समर्थन है। पुणे में दतोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी समारोह के दौरान मोहन भागवत ने ये बातें कहीं। भागवत ने कहा कि देश को आगे ले जाने के लिए समाज में व्याप्त विषमता मिटानी होगी। उन्होंने कहा कि कानून तो कितने बने लेकिन आचरण में जब तक नहीं उतरेगा तब तक उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाएगा।’

बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त भी मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा के लिए एक गैर राजनीतिक समिति बनाने की मांग की थी। जिस पर काफी हंगामा हुआ था। विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को चुनाव के दौरान खूब उछाला था। वहीं भाजपा आरएसएस प्रमुख से बयान से बैकफुट पर नजर आयी थी और पार्टी ने इससे अपना पल्ला झाड़ लिया था। चुनाव नतीजों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। माना गया था कि भाजपा को आरक्षण वाले बयान का भी नुकसान उठाना पड़ा था।

भागवत के बयान का बिहार चुनाव पर क्या होगा असर?: उल्लेखनीय है कि मोहन भागवत का आरक्षण को लेकर बयान ऐसे वक्त आया है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में मोहन भागवत का यह बयान बिहार चुनाव पर क्या असर डालेगा, यह देखने वाली बात होगी। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों का अहम योगदान रहता है। यही वजह है कि आरक्षण को लेकर कही गई कोई भी बात बिहार चुनाव में निर्णायक साबित हो सकती है।

बीते साल दिल्ली में एक कार्यक्रम में भी मोहन भागवत ने आरक्षण का मुद्दा उठाया था और आरक्षण के विरोधी और उसके समर्थकों से एक दूसरे की बात समझने की अपील की थी।