पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय में पहुंचकर संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा किया। प्रणब दा के संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले से कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व असहज था। इसके बावजूद प्रणब मुखर्जी और भागवत के बयानों पर पूरे देश की नजरें टिकी थीं। इस मौके पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति को निमंत्रित करने के बारे में भी जानकारी दी। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में क्‍यों आए, इस पर चर्चा व्‍यर्थ है। संघ संघ है और डॉ. प्रणब मुखर्जी डॉ. प्रणब मुखर्जी हैं। वह विद्वान हैं। हमने प्रणब मुखर्जी को सहज रूप से आमंत्रण दिया और उन्‍होंने हमारा स्‍नेह पहचान कर आने की सहमति दे दी। उनको कैसे बुलाया और वह क्यों आ रहे हैं, इस पर चर्चा निरर्थक है।’ मोहन भागवत ने बताया कि लाल बहादुर शास्‍त्री और सुभाष चंद्र बोस के परिवार के लोग भी आरएसएस के समारोह में शिरकत कर रहे हैं। वहीं, प्रणब मुखर्जी ने भी संघ के मंच से कहा कि वह राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति की बात करने आए हैं। इन तीनों को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने देश की बहुलता और समावेशी प्रवृत्ति का भी उल्लेख किया और इसे भारत की मूल पहचान बताया। पूर्व राष्ट्रपति ने हैप्पी इंडेक्स में भारत की मौजूदा स्थिति पर भी सवाल उठाया।

संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, ‘हमें दूसरों का आदर करना है और उनकी पसंद का भी तभी हम एक हो सकते हैं। हमारे मूल्‍य एकता पर आधारित हैं और दूसरों का महत्‍व पहचानने के स्‍वाभविक गुण की वजह से ही हम ऐसे बने हैं।’ राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के प्रमुख ने कहा कि संघ संपूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है। भागवत ने स्पष्ट किया कि हमारी पहचान हजारों वर्षों से विविधता में एकता की रही है। संघ प्रमुख ने कहा कि इस देश को खड़ा करने में अनेक महापुरुषों ने त्‍याग किया है। उन्‍होंने कहा कि ये केवल नागरिकता की बात नहीं है, यहां पर जन्‍म लेने वाला प्रत्‍येक नागरिक भारत पुत्र है और यही सबकी पहचान है। बता दें कि प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में जाने को लेकर कांग्रेस हमलावर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने प्रणब मुखर्जी की आलोचना की है।