केंद्र और राज्य सरकारों के बीच खनिज पर टैक्स को लेकर चले आ रहे विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता। खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि संसद के पास संविधान के प्रावधानों के तहत खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की शक्ति नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
अलग-अलग राज्य सरकारों और खनन कंपनियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 86 याचिकाएं पहुंची थीं। इसमें कोर्ट को यह तय करना था कि मिनरल्स पर रॉयल्टी और खदानों पर टैक्स लगाने के अधिकार राज्य सरकार को होने चाहिए या नहीं। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 दिनों तक सुनवाई चली। CJI ने कहा है कि माइंस और मिनरल्स डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट (MMDR) राज्यों की टैक्स वसूलने की शक्तियों को सीमित नहीं करता है। राज्यों को खनिजों और खदानों की जमीन पर टैक्स वसूलने का पूरा अधिकार है।
1989 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला
बता दें कि यह मामला 1989 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब तमिलनाडु सरकार बनाम इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड के बीच यह मामला कोर्ट में था। इस मामले में सात जजों की बेंच ने कहा था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक टैक्स ही है। इसके बाद खनन कंपनियों, PSU और अलग-अलग राज्यों की ओर से 86 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं। 2004 में पश्चिम बंगाल बनाम केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
इस मामले में 5 जजों की बेंच ने कहा कि 1989 में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था उसे गलत समझा गया। कोर्ट ने कहा का रॉयल् को टैक्स नहीं माना जा सकता है। 1989 और 2004 के फैसलों में विरोधाभास के कारण मामले एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने रॉयल्टी से जुड़े मामले को 9 जजों की बेंच को सौंप दिया।
9 जजों की संवैधानिक बेंच ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया है। इस बेंच में 9 जजों की बेंच में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज शामिल थे। इनमें 8 जजों ने एकमत से फैसला सुनाया है। वहीं एक जज बीवी नागरत्ना ने कहा कि राज्यों को टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं देना चाहिए।