भारत सरकार के अंतर्गत काम करने वाले रिसर्चरों ने कोरोना हॉटस्पॉट्स और कंटेनमेंट जोन्स से जुड़ा एक अहम डेटा साइंटिफिक पेपर में छापने से रोक दिया। बताया गया है कि देशभर में किए गए सर्वे में से 10 शहरों के हॉटस्पॉट्स से जुड़ा डेटा जानबूझकर रोका गया। इसमें उन क्षेत्रों में कोरोना के फैलाव की जानकारी दी गई थी। आरोप है कि ऐसा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के प्रमुख बलराम भार्गव के कहने पर किया गया।

द टेलिग्राफ अखबार ने मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि बलराम भार्गव और आईसीएमआर के स्वास्थ्य शोध विभाग के सचिव ने रिसर्चर्स से कहा था कि काउंसिल को हॉटस्पॉट्स की जानकारी छापने की अनुमति नहीं मिली है। सूत्रों का कहना है कि भार्गव, जो कि इस रिसर्च पेपर के लेखकों में से एक थे, ने यह नहीं बताया कि इस जानकारी को छापने से किसने और क्यों रोका।

अखबार ने दावा किया है कि उसने साइंटिफिक पेपर के 74 लेखकों में से 7 से बात की है। इनमें से चार ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर यह अहम जानकारी दी, जबकि तीन ने यह बात रिकॉर्ड पर कही है। इस बारे में आईसीएमआर प्रमुख को दो दिन पहले ही सवाल भी भेजे गए थे। हालांकि, अब तक उनकी तरफ से प्रतिक्रिया नहीं आई है। भार्गव का बयान आने के बाद उनकी बात भी शामिल की जाएगी।

10 शहरों के हॉटस्पॉट में किया गया था रैंडम सर्वे: बताया गया है कि आईसीएमआर द्वारा 11 मई से 4 जून के बीच किए गए देशव्यापी सर्वे से यह पता लगाने की कोशिश की गई थी कि कोरोनावायरस से किस अनुपात में लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसके तहत 70 जिलों में से हर एक में 400 रैंडम ब्लड सैंपल्स इकट्ठा किए गए। वहीं, 10 शहरों (अहमदाबाद, भोपाल, कोलकाता, दिल्ली, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, मुंबई, पुणे और सूरत) में हॉटस्पॉट्स से 500-500 लोगों की रैंडम टेस्टिंग की गई।

पेपर से हटाए गए कोरोना के ज्यादा प्रसार वाले हॉटस्पॉट्स के सर्वे: आरोप है कि आईसीएमआर प्रमुख बलराम भार्गव के निर्देश पर ही रिसर्चरों ने साइंटिफिक पेपर से उन हॉटस्पॉट्स की जानकारी हटा ली, जहां कोरोना का फैलाव ज्यादा था। मुंबई के धारावी में उस वक्त जहां कोरोना की प्रसार दर 36 फीसदी थी, वहीं अहमदाबाद के हॉटस्पॉट में 48 फीसदी और कोलकाता में 30% के करीब।

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में इस महीने छपे में पेपर में सिर्फ उन जगहों के बारे में ही जानकारी दी गई है, जहां कोरोना के फैलाव की दर दूसरों से कम थी। मसलन सिर्फ उन जगहों को जहां मई की शुरुआत में जहां भी कोरोना प्रसार की दर 0.62 से 1.03 फीसदी थी। इस दौरान राष्ट्रीय औसत 0.73 फीसदी ही था।