सोशल मीडिया व इंटरनेट की लत के कारण लोगों में एकाग्रता का स्तर पिछले 10 वर्ष में 30 मिनट से घटकर सात सेकंड तक आ गया है। लोगों में एकाग्रता की कमी उन्हें धैर्य की कमी की ओर धकेल रहा है। साथ ही यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह व अवसाद जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा रहा है और याददाश्त की कमी व कम उम्र में भूलने की बीमारी ओर भी ले जा रहा है। एम्स के मनोचिकित्सक डाक्टर नंद कुमार, डाक्टर दीपिका व डाक्टर निषाद अहमद ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।
डाक्टर नंद ने बताया कि इंटरनेट पर ज्यादा समय बिताना खास कर रील व अन्य सोशल मीडिया पर लोगों के एकाग्रता व धैर्य को खतरनाक स्तर तक खो रहा है। यह खास कर बच्चों को गंभीर खतरों की ओर ले जा रहा है। शोध में यह पता चला है कि इंसानों के एकाग्रता का जो स्तर व समय जो आज से 10 साल पहले 20 से 30 मिनट तक था वह अब घटकर महज सात सेकंड रह गया है। उन्होंने बताया कि इंसान की एकाग्रता इनती अधिक भंग हुई है कि यह अब गोल्ड फिश से भी कम रह गई है। गोल्ड फिश की एकाग्रता नौ सेकंड है।
दिल्ली के बाद मेघालय में मिली सफलता
डाक्टर नंद ने बताया कि उन्होंने बच्चों को इससे बचाने के लिए ‘मेट फाइव परियोजना’ बनाई है जिसमें पांच गतिविधियों से बच्चों का बेहतर विकास संभव है। बाल मनोरोग से बच्चों को बचाने के लिए तैयार की गई खास कार्यशाला ‘मेट फाइव’ को दिल्ली के चार स्कूलों में चलाया गया।
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सफलता मिलने के बाद एम्स दिल्ली ने मेघालय के 20 स्कूलों में ‘मेट फाइव पायलट’ परियोजना शुरू की है जो बच्चों की सामाजिक मेलजोल आपसी संंबंध व मानसिक सेहत सभी को बेहतर करके अच्छा इंसान बनाने में मदद कर रहा है। एम्स ने ऐसे बच्चों को आज पुरस्कृत किया।