Rebellion in Maharashtra Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार माहौल थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो गया है, क्योंकि सत्ताधारी महायुति गठबंधन और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) दोनों ही अपने-अपने बागियों से जूझ रहे हैं। मंगलवार को नामांकन की आखिरी तारीख के बाद जैसे ही सूची सामने आई, पता चला कि कुल मिलाकर करीब 50 बागी उम्मीदवार इन गठबंधनों के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में हैं। इनमें महायुति से 36 और एमवीए से 14 बागी शामिल हैं।

कुछ बागियों ने तो अपने ही परिवार वालों को मैदान में उतार दिया

महायुति में सबसे ज्यादा बागी बीजेपी के हैं, जिनकी संख्या 19 है। इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना से 16 बागी मैदान में हैं। डिप्टी सीएम अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से भी एक बागी खड़ा हुआ है। उधर, एमवीए में सबसे ज्यादा बागी कांग्रेस से हैं, जिनकी संख्या 10 है। एमवीए के कुल 14 बागी ऐसे हैं जिन्होंने गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ भी पर्चा भरा है। इनमें कुर्ला, दक्षिण सोलापुर, परांदा, सांगोला और पंढरपुर जैसे निर्वाचन क्षेत्र प्रमुख हैं। कुछ बागियों ने तो अपने ही परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़ाने के लिए नामांकन दाखिल करवाया है, जिससे यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।

बीते हफ्ते दिल्ली में हुई एक अहम बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री शिंदे, डिप्टी सीएम अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस को इन बगावतों पर काबू पाने और अंदरूनी कलह को कम करने की नसीहत दी थी। नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद, फडणवीस ने साफ कहा कि बागियों को समझाने के प्रयास जारी हैं ताकि वे 4 नवंबर, नामांकन वापसी की आखिरी तारीख से पहले ही अपना नाम वापस ले लें।

महायुति और एमवीए दोनों को करना पड़ रहा चुनौतियों का सामना

फडणवीस ने कहा कि “हम एक बड़ी पार्टी हैं और हमारे पास चुनाव लड़ने के इच्छुक कई नेता हैं, लेकिन गठबंधन में सभी को समायोजित करना मुमकिन नहीं है। फिर भी, हम इन बागियों से बातचीत करेंगे और उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे। हमें पूरा भरोसा है कि वे समझेंगे और नाम वापस ले लेंगे।” हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कुछ क्षेत्रों में दोस्ताना मुकाबला हो सकता है, जहां दोनों ही गठबंधनों के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। इस चुनावी माहौल में बागियों का रुख कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकता है, जिससे महायुति और एमवीए, दोनों को चुनावी गणित दुरुस्त करने के लिए अपने बागी उम्मीदवारों को मनाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

दोनों ही गठबंधनों के लिए बागी उम्मीदवार परेशानी की बड़ी वजह बने हुए हैं। महायुति में शिंदे की शिवसेना के नौ बागी उम्मीदवार बीजेपी के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। इनमें नवी मुंबई के ऐरोली, मुंबई के अंधेरी ईस्ट (जहां पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की पत्नी और बेटी ने नामांकन दाखिल किया है), जलगांव के पचोरा, और ठाणे के बेलापुर जैसी सीटें शामिल हैं।

दूसरी ओर, बीजेपी के 10 बागी उम्मीदवार शिवसेना के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। ये उम्मीदवार रायगढ़ के अलीबाग और कर्जत, बुलढाणा, बोरीवली, जालना, मीरा भयंदर जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में शिंदे गुट की शिवसेना से सीधे टक्कर ले रहे हैं। वहीं, बीजेपी के नौ बागी उम्मीदवार अजित पवार की एनसीपी के खिलाफ अलग-अलग सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।

शिवसेना के बागी उम्मीदवार एनसीपी को आवंटित सात सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एनसीपी के एकमात्र बागी ने नासिक के नंदगांव से शिवसेना उम्मीदवार के खिलाफ नामांकन दाखिल किया है। इस प्रकार, गठबंधन के भीतर मतभेद स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आए हैं। एमवीए में, कांग्रेस के 14 बागी उम्मीदवार सेना (यूबीटी) और अन्य सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस के बागियों ने कोपरी पंचपखाड़ी, रामटेक, भायखला और राजापुर जैसी सीटों से नामांकन दाखिल किया है, जहां उनकी पार्टी के उम्मीदवारों से मुकाबला हो सकता है।

इस स्थिति पर चर्चा करने के लिए एमवीए नेताओं ने गुरुवार को एक बैठक की। एआईसीसी के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला ने कहा कि इस बैठक का उद्देश्य सभी “दोस्ताना झगड़ों” को समाप्त करना है और मतभेदों को सुलझाना है। चेन्निथला ने स्पष्ट किया कि एमवीए किसी भी तरह के अंदरूनी संघर्ष की अनुमति नहीं देगा और सभी सहयोगी दल इस विषय पर एकमत हैं। बागियों को मनाने के लिए कोशिशें जारी हैं ताकि वे 4 नवंबर, नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि से पहले अपनी दावेदारी वापस ले लें। महाराष्ट्र का यह चुनावी परिदृश्य बता रहा है कि दोनों गठबंधनों में भीतरघात और बगावत जैसी समस्याएं पूरी तरह से उभर कर सामने आई हैं, जिनके कारण उम्मीदवारों के समीकरणों में उलटफेर हो सकता है।