पश्चिमी यूपी में प्रभावी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) विधान मंडल दल के कुल नौ विधायकों में से आठ विधायकों ने बुधवार शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस मुलाकात ने समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच संबंधों में दरार आने की आशंकाएं फिर तेज कर दी। इससे रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के एनडीए के साथ जाने की संभावना तेज हो गई है।

पार्टी ने विधायकों की मुलाकात को किसानों के मुद्दे पर बातचीत से जोड़ा

पार्टी की ओर से बताया गया है कि विधायक प्रदेश में बाढ़ से हुए नुकसान का मुआवजा, बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान करने और मूल्य में वृद्धि करने जैसे मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने गये थे। लेकिन राजनीतिक जानकार इसे सपा और रालोद के बीच संबंधों में आई खटास से जोड़कर देख रहे हैं।

राज्यसभा में दिल्ली विधेयक पर वोटिंग से दूर रहने पर चर्चा को मिला था बल

लोकसभा चुनाव 2024 के होने में अब कुछ ही महीने बचे हैं। इस बीच राजनीतिक दलों के गठबंधन को लेकर चर्चाएं जारी हैं। यूपी में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच पिछले विधानसभा चुनाव से ही गठबंधन है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ऐसी चर्चाएं हैं कि दोनों दलों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। इस आशंका को तब और बल मिला जब दिल्ली सेवा बिल पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख चौधरी जयंत सिंह अनुपस्थित रहे। इससे विपक्ष का एक वोट कम हो गया था और सत्ता पक्ष को फायदा मिला।

पिछले कुछ दिनों से मीडिया में चर्चा है कि आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी की भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत चल रही है। जयंत चौधरी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय लोकदल (RLD) अगर एनडीए के साथ जाता है तो इससे पश्चिमी यूपी में जाटों और किसानों के एक बड़े हिस्से का समर्थन भाजपा को मिलने का रास्ता खुल जाएगा।

इधर, काफी समय से आरएलडी नेता जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव साथ-साथ नहीं दिख रहे हैं। पार्टी की ओर दोनों नेताओं के संबंधों को लेकर कोई बड़ा बयान भी नहीं जारी किया गया है। इस वजह से जयंत चौधरी के भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में जाने की संभावना और बढ़ गई है।

जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी प्रभाव है। उनके पिता चौधरी अजित सिंह भी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय थे। ऐसे में उनके एनडीए के साथ आने में भाजपा को काफी फायदा मिल सकता है।