पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं और भाषण, भारतीय जनसंघ (BJS) के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय के राष्ट्रवादी उद्धरण, और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को रेखांकित करने वाले ऑडियो प्रेजेंटेशन – ये सब लखनऊ में बने ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं। यह स्मारक न केवल तीन महान राष्ट्रवादी नेताओं को श्रद्धांजलि है, बल्कि उनके विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक प्रयास भी है।

यह विशाल परिसर 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन के बाद आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। संयोग से यही दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन भी है।

राजधानी के बाहरी इलाके में हरदोई रोड पर गोमती नदी के किनारे फैला यह स्मारक करीब 65 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया गया है। पूरे कॉम्प्लेक्स का आकार कमल के फूल जैसा है, जो भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह भी है। इसका मुख्य आकर्षण वाजपेयी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय की तीन ऊंची कांस्य प्रतिमाएं हैं, जिन्हें भाजपा और उसके पूर्ववर्ती संगठन भारतीय जनसंघ के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

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लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के अधिकारियों के अनुसार, 65 फीट ऊंची ये प्रतिमाएं राजधानी में स्थापित सभी प्रमुख हस्तियों की मूर्तियों में सबसे ऊंची हैं। प्रत्येक प्रतिमा का वजन करीब 42 टन है और इनके चारों ओर जल निकाय विकसित किया गया है। करीब 230 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह परियोजना LDA की बसंत कुंज योजना के तहत विकसित की गई है। इसका निर्माण कार्य वर्ष 2022 में शुरू हुआ था।

राष्ट्र प्रेरणा स्थल के प्रमुख आकर्षणों में 6,300 वर्ग मीटर क्षेत्र में बना दो मंजिला संग्रहालय भी शामिल है। इसमें कुल पांच गैलरी और 12 इंटरप्रिटेशन वॉल्स हैं, जो तीनों नेताओं के जीवन और विचारों को समर्पित हैं। संग्रहालय के दो अलग-अलग कमरों में उनके जीवन पर आधारित ओरिएंटेशन फिल्में भी दिखाई जाएंगी।

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LDA के एक अधिकारी ने बताया, “यह संग्रहालय तीन महान हस्तियों को समर्पित है। उनके विचार, उनसे जुड़ी सामग्री और उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं यहां प्रदर्शित की गई हैं। उदाहरण के तौर पर, भारतीय जनसंघ के गठन का पूरा इतिहास यहां दिखाया गया है। उद्देश्य यह है कि लोग राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को समझ सकें।”

भारतीय जनसंघ के गठन से जुड़े एक डिस्प्ले में बताया गया है कि नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्रीय मुद्दों को सीधे जनता तक ले जाने का संकल्प लिया। इसमें लिखा है कि 1951-52 के पहले आम चुनावों से पहले, जब कांग्रेस के सामने कोई मजबूत राजनीतिक विकल्प मौजूद नहीं था, तब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के समर्थन से एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का निर्णय लिया। अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई, जिसके पहले अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी बने और संगठन की जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय ने संभाली।

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प्रदर्शित टेक्स्ट में यह भी उल्लेख है कि 1952 के चुनावों में जनसंघ को उल्लेखनीय सफलता मिली और उसका चुनाव चिन्ह दीपक स्वतंत्र भारत में उभरती राष्ट्रवादी राजनीति का प्रतीक बन गया। संग्रहालय की एक गैलरी में दीपक, सुदर्शन चक्र और भारत माता की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।

परिसर में 3,000 लोगों की क्षमता वाला एक एम्फीथिएटर, मेडिटेशन हॉल, योग केंद्र, म्यूजिकल ब्लॉक, हेलीपैड और एक विशाल रैली ग्राउंड भी है, जिसमें दो लाख से अधिक लोगों के एक साथ जुटने की व्यवस्था है। उद्घाटन से पहले, भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान रैली ग्राउंड में करीब दो लाख लोग मौजूद रहें।

मंगलवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने तैयारियों का जायजा लिया। इसके साथ ही पार्टी लखनऊ और आसपास के जिलों में संगठनात्मक बैठकें भी कर रही है, ताकि कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके और प्रधानमंत्री के भाषण के समय मैदान पूरी तरह भरा रहे। पूरे परिसर को देश के विभिन्न हिस्सों से लाए गए फूलों से सजाया जा रहा है। वहीं, कार्यक्रम स्थल तक जाने वाली सड़कों की सफाई, सजावट और स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत का काम भी किया जा रहा है। सोमवार को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) ने परिसर की सुरक्षा व्यवस्था अपने नियंत्रण में ले ली।

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पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह स्मारक इसलिए भी अनोखा है क्योंकि यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट होगा, जहां पार्टी के तीन प्रमुख दिग्गज नेताओं की ऊंची प्रतिमाएं एक ही स्थान पर स्थापित की गई हैं।

एक भाजपा नेता ने कहा, “उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों ने अपने-अपने नेताओं और विचारकों की स्मृति में कई पार्क और स्मारक बनाए हैं। कांग्रेस ने भी देश के अन्य हिस्सों में ऐसे स्मारक विकसित किए हैं। ऐसे में राष्ट्र प्रेरणा स्थल के विकास के बाद यह अच्छी बात है कि लोग भाजपा के उन विचारकों के बारे में भी जान सकेंगे, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई।”

उन्होंने यह भी कहा कि अब पार्टी नेता इन महान हस्तियों की जयंती और पुण्यतिथि पर यहां आकर बड़े स्तर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित कर सकेंगे। नेता ने आगे बताया, “अब तक चारबाग इलाके में दीनदयाल उपाध्याय की सिर्फ एक प्रतिमा है, सिविल अस्पताल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की एक मूर्ति है और लखनऊ में लोक भवन तथा कन्वेंशन सेंटर में अटल बिहारी वाजपेयी की दो प्रतिमाएं हैं। भाजपा नेता आमतौर पर वहीं जाकर श्रद्धांजलि देते हैं, लेकिन उन स्थानों पर बड़ी भीड़ जुटाना संभव नहीं होता। राष्ट्र प्रेरणा स्थल पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध है।”