दिल्ली से मेरठ के बीच चलने वाली देश में निर्मित पहली रैपिड ट्रेन बनकर तैयार है। यह ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी और शताब्दी जैसी सुविधाएं इस ट्रेन में यात्रियों को मिलेंगी। शुक्रवार को शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने इस ट्रेन का पहले लुक का अनावरण किया। यह ट्रेन वाईफाई व शताब्दी सीटों वाली होगी।

दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि ये उच्च-गति, उच्च-आवृत्ति वाली आरआरटीएस ट्रेन पूरी तरह से भारत सरकार की मेक इन इंडिया नीति के तहत निर्मित की जा रही है। ये ट्रेनें पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल होने के साथ-साथ एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों के आर्थिक विकास में तेजी लाएंगी। इससे नए आर्थिक अवसर पैदा होंगे और वायु प्रदूषण, कार्बन फुटप्रिंट, भीड़-भाड़ और दुर्घटनाओं को कम करके लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाएंगी।

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने कहा कि भारत के प्रथम आरआरटीएस ट्रेन सेट को न्यू इंडिया की आकांक्षाओं को पूरा करने के विजन के साथ डिजाइन किया गया है। ट्रेन रोकने (ब्रेकिंग) के दौरान लगभग 30 फीसद ऊर्जा पुनर्जनन के साथ आरआरटीएस ट्रेनें ऊर्जा-कुशल होंगी।

तैयारी है पूरी
एनसीआरटीसी रीजनल रेल सेवाओं के संचालन के लिए 6 कोच के 30 ट्रेन सेट और मेरठ में स्थानीय परिवहन सेवाओं के लिए 3 कोच के 10 ट्रेन सेट खरीदे जाएंगे। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के संपूर्ण रोलिंग स्टॉक का निर्माण गुजरात में बॉम्बार्डियर के सावली प्लांट में किया जाएगा। ट्रेन का डिजाइन 160 किमी प्रति घंटे की परिचालन गति और प्रत्येक 5-10 किमी पर स्टेशन की उपलब्धता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इन ट्रेन में एक बोगी महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगी।

रैपिड ट्रेन से एक तिहाई हो जाएगा यात्रा का समय
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर प्राथमिकता वाले तीन आरआरटीएस कॉरिडोर में से एक है। 82 किलोमीटर लंबा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर भारत में लागू होने वाला पहला आरआरटीएस कॉरिडोर है। यह कॉरिडोर दिल्ली से मेरठ के बीच यात्रा के समय को लगभग एक तिहाई कर देगा। वर्तमान में सड़क मार्ग से दिल्ली से मेरठ तक का आवागमन समय 3-4 घंटे का समय लगता है। आरआरटीएस की मदद से यह दूरी 60 मिनट से भी कम मे तय की जा सकेगी।


ये हैं ट्रेन की खूबियां

-यह पूरी तरह वातानुकूलित है और स्टेनलेस स्टील से बनी है
-प्रत्येक कोच में प्रवेश व निकास के लिए 6 अलग-अलग द्वार हैं
-बिजनेस क्लास कोच में केवल चार ही दरवाजे होंगे
-लोटस टेम्पल से प्रेरणा लेकर बनी है
-ट्रेन में शताब्दी ट्रेन जैसी सीटें होंगी
-खड़े होकर सफर कर रहे यात्रियों के लिए उपयुक्त जगह, सामान रखने का रैक होगा
-मोबाइल/ लैपटॉप चार्जिंग सॉकेट, इंफोटेनमेंट और ऑन-बोर्ड वाईफाई की सुविधा भी होगी।