Vikas Pathak
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 1,500-1,600 प्रतिष्ठित मेहमानों सहित लगभग 8,000 आमंत्रित लोग शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत मंदिर के उद्घाटन समारोह को संबोधित करेंगे।
इन लोगों को किया गया आमंत्रित
राम मंदिर ट्रस्ट ने सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों, सभी राष्ट्रीय पार्टी प्रमुखों, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी, दलाई लामा और फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, माधुरी दीक्षित सहित कई प्रमुख हस्तियों को आमंत्रित किया है। इस अवसर पर भाजपा के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं उमा भारती और विनय कटियार को भी आमंत्रित किया गया है। ये नेता राम मंदिर आंदोलन के चेहरे रहे हैं।
हालांकि आरएसएस के सूत्रों का कहना है कि उद्घाटन समारोह केवल अयोध्या के बारे में नहीं होगा। संघ परिवार ‘सबके राम’ का नारा पूरे देश में प्रचारित करेगा है। इस अभियान के तहत आरएसएस और वीएचपी के सदस्य ‘अक्षत (चावल)’ के वितरण के लिए 1 जनवरी से 15 जनवरी तक पूरे देश में घर-घर अभियान चलाएंगे। 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर लोगों को अपने स्थानीय मंदिरों में सभा आयोजित करने के लिए एक प्रतीकात्मक निमंत्रण भी दिया जाएगा।
यह आउटरीच सिर्फ भारत भर में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया जा रहा है। संघ परिवार हिंदू समुदायों को 22 जनवरी को अपने इलाकों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रेरित कर रहा है। आरएसएस के एक अंदरूनी सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “लोग अयोध्या पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, लेकिन 22 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत बड़ा कार्यक्रम होगा। इसमें दुनिया भर में कुछ कार्यक्रम होने वाले हैं। अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा के साथ होने वाले स्थानीय कार्यक्रम भी ऑनलाइन लाइव होंगे, जिससे देश और दुनिया के हिस्सों को (अयोध्या में जो हो रहा है) उसके साथ तालमेल बिठाने का एहसास होगा।”
भाजपा का प्रमुख मुद्दा रहा है राम मंदिर
भाजपा के लिए राम मंदिर का उद्घाटन एक प्रमुख वैचारिक उद्देश्य को साकार करेगा, जिसका वह तीन दशकों से अधिक समय से समर्थन कर रही थी। लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन ने ही भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता के प्रमुख दावेदार के रूप में उभरने में मदद की, जिससे वह कांग्रेस के लिए प्रमुख चुनौती बन गई।
भाजपा को लगता है कि अयोध्या कार्यक्रम लोकसभा चुनावों से पहले एक संदेश देगा कि धारा 370 को निरस्त करने के अलावा मंदिर का वादा था, जिसे भाजपा ने पूरा कर लिया है। मंदिर शायद उन मुद्दों में से एक है, जिसे भाजपा अप्रैल-मई 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपने प्रचार अभियान में जोड़ेगी।
