राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मौके पर श्रद्धालुओं को भोजन कराने के लिए यहां भंडारे, लंगर आदि विभिन्न सामुदायिक रसोइयां चलाई जा रही हैं। ये सामुदायिक रसोई निहंग सिखों से लेकर इस्कान और देशभर के मंदिर न्यास से लेकर अयोध्या के स्थानीय लोगों द्वारा संचालित की जा रही हैं।अयोध्या आने वाले श्रद्धालु इन सामुदायिक रसोई में ताजा पकाया गया गर्म भोजन ग्रहण कर सकते हैं। ये सामुदायिक रसोई शहर के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही हैं। इन लंगरों में श्रद्धालुओं को खिचड़ी, आलू पूरी, कढ़ी चावल, अचार और पापड़ परोसा जाता है। इसके साथ ही गर्म चाय से श्रद्धालुओं को हाड़ कंपा देने वाली ठंड से राहत मिलती है।
बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर के नेतृत्व में निहंग सिखों का एक समूह पहुंचा है, जो नवनिर्मित मंदिर में रामलला के दर्शन करने के लिए यहां आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए लंगर सेवा चला रहा है। चार धाम मठ में यह दो महीने तक चलेगी। निहंग सिख समूह के सदस्य हरजीत सिंह ने कहा, ‘मैं बाबा फकीर सिंह की आठवीं पीढ़ी हूं और राम भक्तों के बीच निहंगों के बलिदान को रेखांकित करना चाहता हूं।’
हरजीत ने बताया, ‘यह लंगर अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के लिए हमारे पूर्वजों द्वारा शुरू किए गए संघर्ष को श्रद्धांजलि है। यह सेवा दो महीने तक चलेगी।’ पटना का महावीर मंदिर ट्रस्ट यहां राम की रसोई चला रहा है। रसोई के एक सेवादार ने बताया, यहां एक दिन में 10,000 से अधिक श्रद्धालुओं को गर्म भोजन खिलाया जाता है, जब प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद जनता के लिए मंदिर खोला जाएगा तो यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है। यह खर्च महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। साथ ही देशभर से लोग वित्तीय सहायता और कच्चा माल, दोनों तरह से दान भेज रहे हैं।’
इस्कान अयोध्या आने वाले तीर्थयात्रियों का दोपहर के भोजन के प्रसाद के साथ-साथ वैदिक साहित्य का वितरण करके स्वागत कर रहा है! इस्कान इंडिया के प्रवक्ता युधिष्ठिर गोविंदा दास ने कहा, इस्कान भगवान श्री राम के दर्शन के लिए अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों का स्वागत करता है।प्रतिदिन 5,000 तीर्थयात्रियों को दोपहर के भोजन का प्रसाद दिया जा रहा है। साथ ही उन्हें वैदिक साहित्य का वितरण और विभिन्न देशों के श्रद्धालुओं द्वारा संकीर्तन भी किया जा रहा है।’ अयोध्या में राममंदिर का पहला चरण पूरा होने वाला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे।
मंदिर शहर अयोध्या में अर्थव्यवस्था में आई तेजी से उत्साहित स्थानीय लोग भी श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन देने के लिए हाथ मिला रहे हैं। अशर्फी भवन के पास एक ढाबे के मालिक ब्रकेश शुक्ल ने कहा, भगवान राम ने हमें आजीविका के नए साधन दिए हैं जो जीवन भर जारी रहेंगे। दो महीने के लिए हम अपने रेस्तरां में मुफ्त भोजन की पेशकश कर रहे हैं।
हम तीर्थयात्रियों के लिए नए गेस्ट हाउस भी बना रहे हैं। इस बीच, चंडीगढ़ से गौरी शंकर सेवा दल एक महीने की लंबी लंगर सेवा चलाने के लिए अयोध्या जा रहा है। धार्मिक संगठन के सदस्य प्रीतम ने कहा, हम मक्के की रोटी और सरसों का साग परोसेंगे। हमारा लंगर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के एक दिन बाद 23 जनवरी से शुरू होगा और एक महीने
तक चलेगा।
मेहमानों को मिलेगा शुद्ध देसी घी से बना महाप्रसाद
अयोध्या धाम में श्रीराम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने वाले अति विशिष्ट अतिथियों को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्राण प्रतिष्ठा के बाद महाप्रसाद दिया जाएगा। इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान मेहमानों को मंदिर परिसर में देसी घी से तैयार भोजन भी परोसे जाने की तैयारी है।
एक सरकारी बयान में कहा गया कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मार्गदर्शन में गुजरात की भगवा सेना भारती गरवी गुजरात एवं संत सेवा संस्थान की ओर से महाप्रसाद तैयार किया जा रहा है, जिसे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद मेहमानों को वितरित किया जाएगा। संत सेवा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमल भाई रावल ने बताया कि ट्रस्ट की ओर से उन्हें तीन दायित्व सौंपे गए हैं जिसके तहत उन्हें महाप्रसाद तैयार करने के साथ संतों के ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था करना है।
उन्होंने बताया कि करीब 200 लोगों की टीम द्वारा पांच हजार किलो से अधिक सामग्री से महाप्रसाद को तैयार किया गया है जिसमें शुद्ध देसी घी, बेसन, शक्कर और पंच मेवे का इस्तेमाल किया गया है। महाप्रसाद की शुद्धता का भी विशेष ध्यान रखा गया है, जिसमें सभी सामग्रियों को खुद संस्थान की ओर से निर्मित किया गया।
उनके अनुसार महाप्रसाद की किसी भी सामग्री को बाजार से रेडीमेड नहीं लिया गया है। महाप्रसाद के 20 हजार से अधिक पैकेट को तैयार किया गया है तथा हर पैकेट में दो लड्डू, सरयू नदी का जल, अक्षत, सुपारी की थैली और कलावा होगा। उनका कहना था कि महाप्रसाद के पैकेट को सनातनी परंपरा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उनके अनुसार संस्थान की ओर से 21 जनवरी को महाप्रसाद के पैकेट को ट्रस्ट को सौंप दिया गया।