पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे गुरुवार को जारी हो गए। इनमें से केंद्र में सत्ता में बैठी भाजपा ने असम में बाजी मारी। वहीं केरल में लेफ्ट, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, तमिलनाडु में एआईडीएमके और पुदुचेरी में डीएमके-कांग्रेस को जीत मिली। राज्य सभा में कमजोर एनडीए को इन चुनावों से कोई खास फर्क नहीं पड़ा। हां, आगे चलकर भाजपा के सदस्यों की संख्या ऊपरी सदन में बढ़ सकती है। इन चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के चलते केंद्र सरकार मानसून सत्र में जीएसटी बिल को पेश कर सकती है। बंगाल में चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने जीएसटी पर समर्थन देने की बात भी कही।
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अगले कुछ महीनों में राज्य सभा की कुछ सीटों के लिए चुनाव होने हैं, इससे एनडीए को राहत मिल सकती है। तमिलनाडु की छह राज्य सभा सीटों के लिए अगले महीने चुनाव होंगे। एआईडीएमके के जतीन सांसद ए नवनीतकृष्णन, मनोज पॉल पांडियन और रबि बर्नार्ड, डीएमके के दो सांसद केपी रामालिंगम व एस थंगावेलु और कांग्रेस के ईएफ सुदरसन नचियप्पन 29 जून को रिटायर होंगे। एआईडीएमके अपने तीनों सांसदों को बरकरार रख सकती है। डीएमके के भी अपने दोनों सांसदों को वापस भेजने की संभावना है। छठी सीट को लेकर अनिश्चितता है। न तो एआईडीएमके और न डीएमके-कांग्रेस गठबंधन के पास पहली प्राथमिकता के आधार पर इस सीट को जीतने की क्षमता है। यदि कांग्रेस इस सीट को नहीं जीत पाती है तो ऊपरी सदन में उसकी संख्या घटकर 64 से 63 रह जाएगी।
पश्चिम बंगाल में 16 सीटें हैं। इनमें से 6 की सदस्यता अगस्त 2017, पांच की अप्रैल 2018 और बाकी पांच की अप्रैल 2020 तक है। अगले साल रिटायर होने वाले छह में से चार सांसद टीएमसी के, एक कांग्रेस और एक लेफ्ट का है। टीएमसी पांच सांसद भेज सकती है। इससे लेफ्ट को एक सीट गंवानी पड़ेगी। इससे राज्य सभा में उनकी संख्या 8 से घटकर 7 रह जाएगी। केरल की बात करें तो यहां से नौ राज्य सभा सांसद हैं। पिछले महीने ही तीन सीटों के लिए चुनाव हुए हैं। बाकी बचे छह सांसदों को चुनाव जुलाई 2018 और 2021 में होना है।
असम में सात राज्य सभा सीटें हैं। इनमें से दो के लिए पिछले महीने ही चुनाव हुए। राज्य सभा के लिए अगले चुनाव यहां पर जून 2019 में होंगे। इसके चलते हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों का राज्य सभा पर असर 2020 में ही पड़ेगा। इसके चलते भाजपा को ही इन चुनावों से राज्य सभा में कोई तात्कालिक लाभ नहीं होगा।