बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसको लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। सत्तारूढ़ दल जदयू और भाजपा से लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने भी राजपूतों को रिझाने के लिए दांव चलना शुरू कर दिया है। यहीं वजह है कि तीनों दलों में भारत के दो महान नायकों की जयंती और पुण्यतिथि मनाने को लेकर होड़ मची हुई है। 16वीं शताब्दी में मुगल शासक अकबर के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले मेवाड़ के महान राजा रहे महाराणा प्रताप और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार के भोजपुर में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने वाले वीर कुंवर सिंह के बहाने दांव चले जा रहे हैं।

बीते 09 मई को महाराणा प्रताप की जयंती पर जेडीयू द्वारा राजधानी पटना में एक समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम को आयोजित करने वाले संजय सिंह ने कहा कि उनके अनुरोध पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पटना में महाराणा प्रताप की कांस्य की मूर्ति स्थापित कराई गई। महाराणा प्रताप हमारे लिए समावेशिता के प्रतीक हैं क्योंकि उनकी सेना में हर जाति के लोग थे।

भाजपा सांसद रूडी ने राजपूतों को लेकर कही बड़ी बात

बीते महीने 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह की पुण्यतिथि थी, जिस दौरान राजद और भाजपा दोनों दलों ने कई कार्यक्रम आयोजित किए। वहीं राजधानी पटना में बीजेपी ने एक जनसभा आयोजित की थी। इस कार्यक्रम में सारण से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव सारण में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे।

भाजपा द्वारा आयोजित सभा में कई और राजपूत विधायक शामिल हुए थे। जिसमें जमुई से विधायक श्रेयसी सिंह और निर्दलीय विधायक सुमित सिंह की मौजूदगी में रूडी ने कहा कि राजपूत लंबे समय से दूसरों की सफलता की सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, हमें सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी हमें हल्के में न ले।

‘महाराणा प्रताप जयंती पर दो दिन की हो छुट्टी’, अखिलेश यादव ने योगी सरकार से की ये मांग

हालांकि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 8 मंत्री हैं जिसमें एक भी राजपूत समाज के नहीं है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और ललन सिंह भूमिहार समाज के हैं तो वहीं दलित और महादलित समाज से क्रमश: चिराग पासवान और जीतन राम मांझी मंत्री हैं। जबकि एक-एक ब्राह्मण, मल्लाह, यादव और नाई समाज को स्थान मिला हुआ है। लेकिन किसी राजपूत को मंत्रालय में जगह नहीं मिला जबकि मौजूद समय में तीन लोकसभा सांसद राजपूत समाज से हैं।

तेस्जवी ने अपने बयान पर दी सफाई

हालांकि वीर कुंवर सिंह की पुण्यतिथि पर तेजस्वी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनका मतलब किसी जाति से नहीं बल्कि उनके कहने का अर्थ ये था कि प्रशासन में शामिल भ्रष्ट बाबुओं को सही करने का था। इसके बाद उन्होंने कहा कि राजपूत वीरों का समुदाय है। जिनके लिए उनके मन में हमेशा बहुत सम्मान रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि उनकी पार्टी राजद में दिवंगत रघुवंश प्रसाद सिंह और राज्य पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह जैसे कई प्रमुख राजपूत नेता हैं।

CJI ने मांगा जस्टिस वर्मा का इस्तीफा, इनकार करने पर प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति को भेजा पत्र

बिहार विधानसभा में राजपूत विधायकों की संख्या की बात करें तो भाजपा के 19, राजद के 6, जदयू के 2, कांग्रेस के 1 और एक निर्दलीय हैं। वहीं राज्य की 243 विधानसभा सीटों में 90 विधानसभा सीटें ऐसी मानी जाती हैं जिस पर राजपूतों का प्रभाव प्रमुख रूप से माना जाता है। जहां पर राजपूतों की आबादी करीब 40 हजार से ज्यादा है। जबकि 50 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां राजपूत मतदाताओं की संख्या करीब 30 हजार से अधिक है।

प्रदेश के भोजपुरी बेल्ट सारण, औरंगाबाद, भोजपुर (आरा), कैमूर, रोहतास और बांका में राजपूतों की संख्या अच्छी खासी मानी जाती है। प्रदेश की नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में कुल चार मंत्री राजपूत समाज के हैं। इसमें दो भाजपा, एक जेडीयू जबकि एक निर्दलीय विधायक हैं। वहीं लोकसभा में बिहार में राजपूत समाज के 6 सांसद हैं, जिसमें तीन भाजपा, एक जेडीयू, एक एलजेपी और एक राजद।