राज्यसभा में शुक्रवार का दिन कुछ खुशनुमा रहा। सभापति जगदीप धनखड़ ने ऐसा माहौल रचा कि पक्ष-विपक्ष की कड़वाहट थोड़ी कम सी दिखी। सभापति जगदीप धनखड़ ने ‘गुरु दक्षिणा’ की मांग कर सदन का रुख मोड़ दिया। उन्होंने यह ‘गुरु दक्षिणा’ कांग्रेस के सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा से मांगी। उन्होंने गुरु दक्षिणा के रूप में हुड्डा से सदन के एक सदस्य को उनकी तरफ से जन्मदिन का उपहार भेंट करने को कहा।
संसद में कई सदस्यों के जन्मदिन पर बधाई दी गई
दरअसल, यह वाकया उस समय हुआ जब धनखड़ सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर कुछ सदस्यों को जन्मदिन की बधाई दे रहे थे। इस क्रम में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य मनोज झा का नाम लिया और उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दीं। झा के अलावा सभापति ने वेंकटरमण राव मोपीदेवी (वाईएसआर कांग्रेस पार्टी) और इमरान प्रतापगढ़ी (कांग्रेस) को जन्मदिन की बधाई दी।
सदन में ठहाके गूंज उठे
सभापति ने उल्लेख किया कि हुड्डा अजमेर के मेयो कालेज के छात्र रहे हैं और इस नाते उनके पास कांग्रेस नेता का अभिभावक होने का विशेषाधिकार है क्योंकि वहीं से उन्होंने भी पढ़ाई की है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए गुरु दक्षिणा के तौर पर हुड्डा दिन के अंत तक प्रोफेसर झा को अपनी जेब से मेरी ओर से उपहार देंगे… आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।’ उनके इतना कहते ही सदन में ठहाके गूंज उठे। ‘गुरु दक्षिणा’ शिक्षा पूरी करने के बाद अपने शिक्षक के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की एक प्राचीन भारतीय परंपरा है। सभापति ने कहा कि झा की दो बेटियां हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह मुझे उसी क्लब में खड़ा करता है जिसमें प्रोफेसर झा हैं। उनकी भी दो बेटियां हैं और मेरी भी दो।’ इससे पहले, जब धनखड़ मोपीदेवी को जन्मदिन की बधाई दे रहे थे, तब राजस्थान और मणिपुर के मुद्दे पर सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसदों द्वारा नारेबाजी की गई थी। उन्होंने नारेबाजी कर रहे सदस्यों की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘अगर हम अपने सदस्यों को जन्मदिन की बधाई नहीं दे सकते, सदन को व्यवस्थित नहीं रख सकते, तो यह बहुत अच्छा नहीं है।’ इसके बाद नारेबाजी बंद हो गई और सदस्यों ने जन्मदिन वाले तीनों सदस्यों को मेजें थपथपा कर बधाई दी।
वहीं संसद के सदनों में मणिपुर हिंसा को लेकर लगातार विपक्षी दलों का हंगामा जारी है। केंद्र सरकार हिंसा के मामले में पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि आने वाले दिनों में इस पर वह चर्चा कराने के लिए तैयार है। खुद गृहमंत्री अमित शाह इसका जवाब देंगे। इस जवाब के बाद से ही मणिपुर को लेकर विपक्षी रणनीति को झटका लगा है क्योंकि दबी आवाज में सहयोगी सांसद बार-बार सदन के स्थगन से परेशान हैं। उन्हें कामकाज करने का मौका नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से इस मामले में भाजपा की संसदीय दल की रणनीति कारगर रही है और विपक्षी दलों का हंगामा भी कम हुआ है।
अनुच्छेद-370 पर आस
अनुच्छेद-370 फिर से चर्चा में है। इसे निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को कश्मीर के नेता उम्मीद भरी नजर से देख रहे हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने उम्मीद जताई कि देश के संविधान को बरकरार रखा जाएगा। उनका मानना है कि सत्ताधारी पार्टी का एजंडा पूरा करने के लिए इसे नष्ट नहीं किया जाएगा। महबूबा ने ट्वीट कर कहा कि कपिल सिब्बल द्वारा अनुच्छेद 370 के पक्ष में मजबूत दलीलें देखकर खुशी हुई, जो कि जम्मू-कश्मीर की आकांक्षाओं और भविष्य से जुड़ा हुआ है।
पीडीपी नित्या रामकृष्णन के नेतृत्व वाली हमारी कानूनी टीम द्वारा दलीलें पेश करने का इंतजार कर रही है। हमें उम्मीद है कि इस देश का संविधान बरकरार रखा जाएगा और सत्तारूढ़ पार्टी के एजंडे को पूरा करने के लिए इसे नष्ट नहीं किया जाएगा। सुनवाई शुरू होने के बाद नेशनल कांफ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन की ओर से पेश हुए सिब्बल ने पहले दो दिनों तक मामले पर बहस की। इस मामले की अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।
खरे उतरे खरगे
राहुल गांधी की लोकसभा में वापसी के दरवाजे खुल गए हैं। लेकिन, पिछले दिनों सदन में राहुल की अनुपस्थिति में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी जो छवि बनाई है वह सबकी नजरों में है। संसद से लेकर पत्रकारों तक उनके सधे चुटीले संवाद लोगों को उनकी बात सुनने के लिए मजबूर करते हैं। खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के सहयोगी विपक्षी दलों के साथ रिश्ते भी मधुर हुए हैं। जब खरगे कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे तो उनके एक कठपुतली अध्यक्ष बन जाने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन, कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की सफलता के बाद उन्होंने जिस तरह से कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम किया उसके बाद पार्टी में संगठनात्मक स्तर पर काफी सुधार दिख रहा है।
छत्तीसगढ़ से लेकर राजस्थान तक में उन्होंने बगावत के सुरों को काफी कम किया है। खास कर दक्षिण भारत अभी तक कांग्रेस की राजनीति के लिए मजबूत जमीन तैयार कर रहा है। राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का ज्यादा वक्त दक्षिण भारत में बिताया था क्योंकि वहां कांग्रेस का संगठन मजबूत है। अब देखना होगा खरगे 2024 के लिए कांग्रेस को सांगठनिक रूप से कितनी मजबूती दे पाते हैं।
(संकलन : मृणाल वल्लरी)