संसद का शीतकालीन सत्र जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के वादे को फिर अधूरा छोड़ गया। प्रधानमंत्री का वादा और उमर अब्दुल्ला का प्रस्ताव भी सत्र के एजेंडे में जगह नहीं बना सका। वहीं, अडाणी मुद्दे पर विपक्ष की एकजुटता भी दरक गई, जिसमें तृणमूल, सपा और एनसीपी ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। पहली बार ऑनलाइन मतदान में गड़बड़ियां हुईं, तो पर्ची से वोटिंग करानी पड़ी। प्रियंका गांधी के बैग से संसद और सियासत में नया विवाद छिड़ गया, जबकि महाराष्ट्र में फडणवीस और अजित पवार के बीच मजाकिया अंदाज में राजनीति गर्माई।
अकेली कांग्रेस
संसद के शीतकालीन सत्र में अडाणी के मुद्दे पर सत्र खत्म होते-होते कांगे्रस अकेली पड़ती दिखी। सत्र की शुरुआत से पहले अमेरिकी एजंसी की अडाणी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने सरकार की प्रभावी घेरेबंदी की थी। तब लगा था कि विपक्ष सरकार को इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच के लिए दबाव में ले लेगा। लेकिन पहला हफ्ता बीता तो इंडिया गठबंधन के दल छिटकने लगे। सबसे पहले पल्ला झाड़ा तृणमूल कांगे्रस ने। उसने कहा कि सत्र में उठाने के लिए और भी कई अहम मुद्दे हैं। तृणमूल कांग्रेस विपक्ष की तीसरी बड़ी पार्टी है। तृणमूल के बाद संभल के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी ने भी खुद को अडाणी के मुद्दे से अलग कर लिया। नतीजतन सरकार ने राहत महसूस की। अंत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने भी इस मुद्दे से दूरी बना ली और ले-देकर कांगे्रस अकेली पड़ गई।
तो हुआ पर्ची मतदान
लोकसभा में पहली बार हुई आनलाइन मतदान की प्रक्रिया में व्यवधान हो गया। एक देश एक चुनाव विधेयक पर पहली बार इलेक्ट्रानिक तरीके से वोटिंग होनी थी। लेकिन तकनीकी कारणों से कई सांसद आनलाइन मतदान में सहज नहीं हो पाए और उन्होंने इस पर आपत्ति उठाई। इससे उठी असहज स्थिति के बाद विधेयक के लिए कुछ सांसदों ने पर्ची से अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जब आनलाइन मतदान और पर्ची मतदान का तुलनात्मक परिणाम सामने आया तो विधेयक के पक्ष में पर्ची से अधिक मत मिले। महासचिव ने जैसे ही इस परिणाम की घोषणा की तो विपक्ष यहां भी सत्तापक्ष को घेरते नजर आया। ईवीएम की जगह बैलेट से मतदान और अलग परिणाम पर तंज किया।
शुभकामना
देवेंद्र फडणवीस उम्र में अजित पवार से छोटे हैं। इस नाते आशीर्वाद तो नहीं दे सकते पर शुभकामना तो दे ही सकते हैं। गुरुवार को नागपुर में विधानसभा सत्र के दौरान महाराष्ट्र की महायुति सरकार के मुख्यमंत्री फडणवीस ने अजित पवार का परिचय स्थाई उपमुख्यमंत्री के तौर पर कराया। पिछले दो दशकों में अजित पवार छठी बार उपमुख्यमंत्री बने हैं। इस नाते फडणवीस ने मजाक में ही सही उन्हें स्थाई बताकर कोई अतिरेक नहीं किया। फिर उन्होंने शुभकामना दी कि वे एक दिन सूबे के मुख्यमंत्री जरूर बनेंगे। दरअसल फडणवीस पत्रकारों को बता रहे थे कि उनकी सरकार 24 गुणे सात काम करेगी। वे दोपहर से देर रात तक काम करेंगे। शिंदे तो 24 घंटे करते ही हैं। जबकि अजित पवार जल्दी उठने वाले हैं और तड़के से ही काम शुरू कर देते हैं। इसके पीछे मजाक भी था क्योंकि अजित पवार ने फडणवीस के साथ एक बार तड़के अंधेरे में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। फडणवीस की शुभकामना से अजित पवार खुश तो जरूर हुए होंगे क्योंकि पिछली दफा फडणवीस ने विधानसभा में कहा था कि वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तो दे रहे हैं पर जल्द ही इसी पद पर लौटकर आएंगे। उनकी यह भविष्यवाणी सही साबित हो भी गई। अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद के शपथ लेने पर एकनाथ शिंदे ने भी पत्रकारों के सामने मजाक किया था कि ये तो कभी भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
नई विद्यार्थी का बस्ता भारी
किसी मामले के ठंडे बस्ते में जाने की कहावत की शुरुआत कब हुई हम नहीं जानते। बस्ता का ठंडा व गर्म होने का मतलब तब समझ आया जब संसद की नई विद्यार्थी प्रियंका गांधी के थैले ने संसद परिसर से लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा तक में बहस गर्म कर दी। सबसे पहले प्रियंका गांधी संसद भवन परिसर में अडाणी मुद्दे से जुड़ी तस्वीर वाला बैग लेकर संसद भवन पहुंचीं। इसके बाद प्रियंका गांधी संसद भवन परिसर में फिलीस्तीन लिखा थैला लेकर पहुंची तो भाजपा के आईटी सेल से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हल्ला बोल दिया। फिलीस्तीन के थैले पर हंगामा मचने के दूसरे ही दिन प्रियंका गांधी बांग्लादेश में हिंदुओं और ईसाइयों की सुरक्षा का संदेश लिखा थैला ले आईं। विपक्ष के सदस्यों ने बांगालदेश के संदेश वाले थैले के साथ संसद परिसर में प्रदर्शन भी किया। इसके बाद भाजपा की सांसद अपराजिता सारंगी ने प्रियंका गांधी को 1984 के दंगों से जुड़ा थैला भेंट कर दिया जिसे उन्होंने बिना देखे ले लिया। प्रियंका गांधी के इस थैला संदेश पर संसद भवन के परिसर में किसी ने कहा-नई विद्यार्थी का बस्ता भारी।