जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी को लेकर जारी विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी पर विश्वविद्यालय परिसर में हुए इस कार्यक्रम को लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का समर्थन प्राप्त था और देश को यह बात समझनी चाहिए। उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से यह भी कहा कि वे ऐसे प्रदर्शनों को राजनीतिक नफे-नुकसान के चश्मे से न देखें। जेएनयू की घटना को हाफिज सईद का समर्थन मिला है, यह ऐसा सच है जिसे देश को समझना चाहिए। जो कुछ हुआ है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। गृह मंत्री के इस बयान की तीखी निंदा करते हुए विपक्षी दलों ने इसे क्षुद्र राजनीति करार दिया और उन्हें अपने दावे के समर्थन में सबूत पेश करने की चुनौती दी। जबकि गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि बयान खुफिया एजंसियों की सूचनाओं पर आधारित है।
इस बीच, हैदराबाद विश्वविद्यालय सहित देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघ जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई की मांग कर रहे छात्रों के समर्थन में उतर आए। इस बीच जेएनयू शिक्षक संघ भी राष्ट्रद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे छात्र संघ अध्यक्ष के समर्थन में खुलकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ उतर आया है। शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर इस मामले से गलत ढंग से निपटने का आरोप लगाया है। साथ ही उसने इस मामले में विश्वविद्यालय की अपनी प्रशासकीय जांच के पूरा होने से पहले ही पुलिस को कार्रवाई की इजाजत देने पर कड़ा एतराज जताया है। हालांकि कन्हैया की रिहाई की मांग को लेकर सोमवार से छात्रों की हड़ताल को समर्थन देने या न देने पर पसोपेश में है। उसने कहा कि इस बाबत अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
कन्हैया को फंसाए जाने के आरोपों पर गृह मंत्री ने इलाहाबाद में कहा कि हमें बिना किसी बाधा के जांच चलने देनी चाहिए। गृह मंत्री पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी से मिलने और उनकी पत्नी के निधन पर शोक जताने के लिए यहां आए हैं। पुलिस ने किसी सबूत के आधार पर ही कार्रवाई की होगी। राजनाथ ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब कथित तौर पर सईद की ओर से कुछ ट्वीट किए गए और पाकिस्तानियों से अपील की गई कि वे जेएनयू के प्रदर्शन का समर्थन करें। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या वे ट्वीट वाकई सईद की ओर से किए गए थे।
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बाद में दिल्ली पुलिस ने पुलिस आयुक्त कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर खाते से एक अलर्ट जारी कर कहा था, ‘यह जेएनयू और देश भर के छात्र समुदाय को सतर्क और जागरूक करने के लिए है। ऐसे देशद्रोही जुमलेबाजी के बहकावे में न आएं। किसी तरह की देशद्रोही गतिविधि के लिए उकसाना एक दंडनीय अपराध है’। अपने अलर्ट में दिल्ली पुलिस ने सईद के नाम वाले ट्विटर अकाउंट का भी जिक्र किया था, जिसमें कहा गया था, ‘हम अपने पाकिस्तानी भाइयों से अनुरोध करते हैं कि वे पाकिस्तान का समर्थन करने वाले जेएनयू के हमारे भाइयों के समर्थन में जोरशोर से ट्वीट करें’।
बाद में राजनाथ ने ट्वीट किया, ‘मैं सभी संगठनों और राजनीतिक पार्टियों से अपील करता हूं कि वे देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता से जुड़े मुद्दों पर एकजुट रहें’। गृह मंत्री ने कहा कि भारत विरोधी गतिविधियों या दुष्प्रचार में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और निर्दोषों को परेशान नहीं किया जाएगा’।
गृह मंत्री के बयान पर माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इन ‘गंभीर आरोपों’ को साबित करने के लिए सरकार के पास अगर कोई सबूत है तो वह इसे साझा करे। अन्य माकपा नेता डी राजा ने भी इन सबूतों को सार्वजनिक करने की मांग की। बताते चलें कि इस मामले में शिकायत करने वाले भाजपा सांसद महेश गिरी ने एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया है कि नारेबाजी करने वालों में राजा की बेटी अपराजिता भी शामिल थी। नेशनल काफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि छात्रों के खिलाफ यह बहुत गंभीर आरोप है और सरकार को इस बाबत सभी सबूत साझा करने चाहिए।
विपक्ष के इन बयानों के बाद गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि जेएनयू छात्रों के कार्यक्रम को हाफिज सईद के समर्थन के बाबत गृह मंत्री की टिप्पणी विभिन्न सुरक्षा एजंसियों से मिली सूचनाओं पर आधारित है। हालांकि उन्होंने और कोई ब्योरा नहीं दिया।
इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो जोर शोर से चल रहा जिसमें एबीवीपी कार्यकर्ता कथित रूप से भारत विरोधी नारेबाजी करते दिख रहे हैं। पर संगठन ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि यह शरारती तत्वों की चाल है, वीडियो से छेड़छाड़ की गई है।

