राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच इन दिनों विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर राज्यपाल और गहलोत सरकार आमने सामने हैं। दरअसल विधानसभा सत्र बुलाने की यह पूरी गहमागहमी बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट कराने के लिए हो रही है। भारतीय राजनीति में फ्लोर टेस्ट का लंबा इतिहास रहा है। इन लोकसभा और कई विधानसभा में हुए इन फ्लोर टेस्ट का रोमांच टी20 क्रिकेट सरीखा होता है, जहां एक-एक वोट की बड़ी अहमियत होती है।
बता दें कि 21 साल पहले लोकसभा में हुए एक ऐसे ही फ्लोर टेस्ट में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी। गौरतलब है कि यह फ्लोर टेस्ट इतना रोमांचक रहा था कि आखिरी एक वोट से इसका फैसला हुआ था। ओडिशा के सीएम गिरधर गमांग जो कि उस वक्त लोकसभा सांसद भी थे, उनके एक वोट से वाजपेयी की सरकार ने लोकसभा में बहुमत खो दिया था।
ऐसे लिखी गई थी फ्लोर टेस्ट की पटकथाः साल 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। जिसके बाद भाजपा ने कई अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर राजग की सरकार बनायी थी। सरकार को 13 महीने का ही समय बीता था कि तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक पार्टी ने वाजपेयी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। जिसके बाद अप्रैल 1999 में लोकसभा में वाजपेयी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट देना पड़ा।
उस फ्लोर टेस्ट के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिया गया भाषण ऐतिहासिक भाषणों में शुमार किया जाता है। फ्लोर टेस्ट से पहले उम्मीद की जा रही थी शायद वाजपेयी सरकार बच सकती है। फ्लोर टेस्ट के दौरान सांसदों ने वोटिंग बटन दबाने शुरू किए और हर वोट के साथ ही सभी की धड़कनें बढ़ रहीं थी। बता दें कि फ्लोर टेस्ट से पहले विश्वासमत की बहस का टीवी पर लाइव प्रसारण हुआ था। जब सब सांसदों ने वोटिंग कर ली तो लोकसभा की स्क्रीन पर नतीजे घोषित किए गए।
गिरधर तमांग के एक वोट से गिर गई थी सरकारः फ्लोर टेस्ट के नतीजे घोषित हुए, जिनमें वाजपेयी सरकार के पक्ष में 269 और विपक्ष में 270 वोट पड़े। इसके साथ ही वाजपेयी सरकार अल्पमत में आ गई और सत्ता पर काबिज होने के 13 माह बाद ही सत्ता से बाहर हो गई।
बता दें कि फ्लोर टेस्ट के वक्त गिरधर गमांग ओडिशा के सीएम थे और दो माह पहले ही उन्होंने सीएम पद की शपथ ली थी। गौरतलब है कि गमांग ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था। इसके चलते गमांग सीएम भी थे और कांग्रेस सांसद भी। फ्लोर टेस्ट के वक्त जब गमांग वोट देने लोकसभा पहुंचे तो भाजपा ने इसका विरोध भी किया लेकिन आखिरकार लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी ने फ्लोर टेस्ट में भाग लेने या ना लेने का फैसला गमांग पर छोड़ दिया। लेकिन गमांग ने वोट दिया और उन्हीं के एक वोट से वाजपेयी सरकार अल्पमत में आ गई।