कांग्रेस पार्टी के पूर्व चीफ राहुल गांधी की विदेश वापसी के बाद कांग्रेस का चिंतन शिविर होगा। इस महामंथन में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के प्रेजेंटेशन और प्लान पर चर्चा की जाएगी।

दरअसल, कांग्रेस का यह कार्यक्रम पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद हो रहा है। ऐसे में पार्टी का मकसद जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने, नई चुनौतियों से निपटने और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करना है। यह प्रोग्राम 13 से 15 मई के बीच राजस्थान के उदयपुर में होगा।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया, इस शिविर में कांग्रेस की टॉप लीडरशिप, सीनियर नेता और कई राज्य इकाइयों के वरिष्ठ पदाधिकारियों समेत करीब 400 लोग शामिल होंगे। इस शिविर से पहले कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक भी संभव है। वैसे, रोचक बात है कि यह ‘चिंतन शिविर’ ऐसे समय होने जा रहा है जब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर मंथन का दौर चल रहा है।

इस बीच, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बुधवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि दोनों मुख्यमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं जहां ‘चिंतन शिविर’ और प्रशांत किशोर के विषय पर चर्चा होने की संभावना है।

चुनावी रणनीतिकार पीके की ओर से अगले लोकसभा चुनाव और कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए पेश की गई रणनीति पर पार्टी के भीतर गहन मंथन का दौर फिलहाल जारी है। मंगलवार को इसी क्रम में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने किशोर के साथ चर्चा की। सूत्रों ने बताया, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर हुई इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी और कुछ अन्य नेता मौजूद थे। इस बीच, म.प्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान भी किशोर के विषय पर चर्चा हुई।

दरअसल, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेतृत्व व संगठन में भारी बदलाव की मांग उठी थी। चुनाव नतीजों के बाद हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में संसद सत्र के बाद सीडब्ल्यूसी की एक और बैठक आयोजित करने के साथ ही चिंतन शिविर के विवरण को अंतिम रूप देने का निर्णय लिया गया था।

सूत्रों की मानें तो इस ‘चिंतन शिविर’ के दौरान चुनावी हार से सीख लेते हुए भविष्य के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिये रणनीतिक खाका खींचने को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा क्योंकि मौजूदा समय में सिर्फ दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारें हैं। वहीं, महाराष्ट्र तथा झारखंड में कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी दल है।

सूत्र यह भी बताते हैं कि कांग्रेस लीडरशिप चाहती है कि हर नेता पार्टी की विचारधारा के प्रसार में मदद और आगामी चुनावों में वह कैसे बेहतर प्रदर्शन करे इसको लेकर संगठन में कमियों और इसमें सुधार करने के उपायों पर खुलकर चर्चा करे।