लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी ने सफ़ेद टी-शर्ट को अपना स्टाइल स्टेटमेंट बना लिया है । 2022 में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के बाद से वह सर्दियों के दौरान भी सफ़ेद हाफ टी-शर्ट पहन रहे हैं। टी-शर्ट ने उस सफ़ेद कुर्ते की जगह ले ली है जो अक्सर नेताओं द्वारा पहना जाने वाला विशिष्ट परिधान है और भारतीय राजनीति में नेताओं का पर्याय बन गया है।

टीम राहुल ने इस बदलाव को न्याय और समान भविष्य से जोड़ा है क्योंकि हर कोई, अमीर या गरीब टी-शर्ट पहन सकता है और सफेद रंग शांति और सद्भाव का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, अगर राहुल गांधी किसी स्पेशल स्टाइल से जुड़ना चाहते हैं तो वह ऐसा करने वाले पहले नेता नहीं हैं। जवाहरलाल नेहरू की नेहरू जैकेट, नरेंद्र मोदी की मोदी जैकेट, ममता बनर्जी की नीले बॉर्डर वाली सफेद साड़ी और मनमोहन सिंह की नीली पगड़ी को भी उनका पर्याय माना जाता है।

राजनीतिक पार्टियों ने भी अपने विचारों के प्रतिनिधित्व के लिए रंगों का चयन किया

नेताओं के पहनावे के अलावा, पार्टियों ने भी अपने विचारों के प्रतिनिधित्व हेतु रंगों का भी चयन किया है। जैसे भगवा रंग जो भाजपा और आरएसएस से जुड़ा है। भगवा रंग की पहचान भाजपा के साथ जुड़ी हुई है न केवल इसके कार्यकर्ता बल्कि इसके आलोचक भी इसे भगवा रंग से पहचानते हैं। ‘भगवाकरण’ शब्द का इस्तेमाल अक्सर संघ के आलोचक भाजपा और आरएसएस के विचारों के लिए करते हैं, खासकर भारतीय इतिहास पर।

एक भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “भगवा रंग त्याग और बलिदान से जुड़ा है। हिंदू संन्यासी भगवा पहनते हैं क्योंकि वे अपने परिवार का त्याग करते हैं और सांसारिक सुखों का त्याग करते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठों की सेना का भी भगवा झंडा था।”

लाल रंग वामपंथ का प्रतिनिधित्व करता है

विचारधारा से निकटता से जुड़ा एक और रंग है लाल जो वामपंथ का प्रतिनिधित्व करता है। इस मामले में यह देखना आसान है कि वामपंथियों ने क्रांति और सत्ता के प्रतिरोध से जुड़े इस रंग को क्यों चुना। नतीजतन सभी कम्युनिस्ट पार्टियां खुद को इस रंग से जोड़ती हैं। सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “लाल क्रांति और बलिदान का रंग है और यह एकता का भी प्रतीक है क्योंकि यह उस खून का रंग है जो सभी समुदायों के श्रमिकों की नसों में बहता है। ”

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डीएमके जो सामाजिक न्याय की कसम खाता है और द्रविड़ आंदोलन का वाहक रहा है का झंडा लाल और काला है। डीएमके के राष्ट्रीय प्रवक्ता और एनआरआई मामलों के सह-प्रमुख पुहाज गांधी कहते हैं, “काला ​​रंग गुलामी का प्रतीक है और उसके नीचे लाल रंग लोगों को अंधकार से मुक्ति का प्रतीक है।”

हरे रंग के भारतीय राजनीति में क्या हैं मायने?

समाजवादी पार्टी (सपा) का झंडा लाल और हरा रंग वाला है जबकि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता पार्टी की पहचान के तौर पर लाल टोपी पहनते हैं। सपा नेता अभिषेक मिश्रा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मेरे लिए, लाल रंग जीवन और बदलाव का प्रतीक है जबकि हरा रंग प्रकृति और स्थिरता का प्रतीक है।” हरा रंग किसानों और कृषि समाजों से जुड़ी पार्टियों के साथ-साथ मजबूत मुस्लिम वोट बैंक वाली पार्टियों पर भी लागू होता है।

जाट किसानों के बीच पारंपरिक समर्थन आधार वाली एनडीए की सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के झंडे पर हरा रंग है, जिस पर एक हैंडपंप भी बना हुआ है, जो किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी के रूप में इसकी पहचान का प्रतीक है।

इन पार्टियों के झंडे का रंग है हरा

जेडी(यू) का झंडा भी हरा है और उस पर तीर बना हुआ है जबकि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का झंडा भी इसी रंग का है और उस पर लालटेन बनी हुई है। जेडी(यू) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी कहते हैं, “हरा रंग हरे-भरे खेतों, हरियाली, समृद्धि का रंग है और गांवों और किसानों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। जनता दल से लेकर उसके गुटों जैसे आरएलडी, जेडी(यू), एसपी और आरजेडी तक सभी समाजवादी और किसान-आधारित पार्टियों के झंडों पर हरा रंग है।”

हालांकि, हरा रंग भारतीय राजनीति की एक और धारा का भी प्रतिनिधित्व करता है। AIMIM और IUML जैसी पार्टियाँ, जो मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं, उनके भी झंडे हरे हैं।

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बीआरएस ने गुलाबी रंग चुना

तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने गुलाबी रंग चुना। 2014 में तेलंगाना के पहले विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत के बाद संस्थापक के चंद्रशेखर राव की बेटी और एमएलसी के कविता ने पार्टी के लिए इस रंग का मतलब बताते हुए कहा था, “मेरे पिता ने गुलाबी रंग इसलिए चुना क्योंकि यह लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तेलंगाना आंदोलन के जोशीले प्रयास का सही प्रतिबिंब था। यह सफेद और लाल रंग का मिश्रण है।”

उन्होंने आगे कहा, “जहां सफेद रंग गरिमा, शालीनता, पारदर्शिता और ईमानदारी का प्रतीक है, वहीं लाल रंग आंदोलन के जुनून और तीखेपन को दर्शाता है। यहां तक ​​कि लाइटहाउस भी सफेद और लाल रंग के होते हैं। यह (बीआरएस) लाइटहाउस है जो नावों को किनारे तक ले जाता है और पार्टी इस क्षेत्र के लोगों के लिए वह मार्गदर्शक मशाल बनना चाहती थी।”

राजनीतिक दलों के लिए नीले रंग के क्या हैं मायने?

आंध्र प्रदेश में पूर्व सीएम एनटी रामा राव द्वारा स्थापित तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का रंग पीला है। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता ज्योत्सना तिरुनागरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “पीले रंग की पृष्ठभूमि आशा और समृद्धि का प्रतीक है जबकि गियर व्हील, हल और झोपड़ी सामूहिक रूप से औद्योगिक विकास, कृषि शक्ति और ग्रामीण समुदायों के उत्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह एनटीआर के आत्मनिर्भर आंध्र प्रदेश के दृष्टिकोण और प्रत्येक तेलुगु भाषी व्यक्ति के कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। झंडा सिर्फ़ एक बैनर नहीं है, यह विकास, समानता और तेलुगु लोगों के गौरव के प्रति हमारे समर्पण का प्रतिबिंब है।”

भारतीय राजनीति में एक और विशिष्ट रंग नीला है और यह उन पार्टियों से जुड़ा है जिन्हें दलित समुदायों के बीच समर्थन आधार माना जाता है। मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की आरपीआई (अठावले) के झंडे नीले हैं। अंबेडकर के अनुसूचित जाति संघ और उनकी मृत्यु के तुरंत बाद स्थापित रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के झंडे भी नीले थे।

नाम न बताने की शर्त पर एक बीएसपी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मैंने कई भाषणों में सुना है कि नीला रंग आसमान का प्रतिनिधित्व करता है और आसमान के नीचे हर कोई समान है।” वे इस रंग को अनुसूचित जातियों के लिए सामाजिक समानता की पार्टियों की खोज से जोड़ते हैं।  पढ़ें- देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स