Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव अगले तीन महीने में होने हैं। चुनाव से पहले वोटर लिसट के रिवीजन यानी SIR वोट चोरी को लेक विपक्ष बड़ा मुद्दा बना रहा है। वोट चोरी के मुद्दे के जरिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। नेता विपक्ष राहुल गांधी रविवार 17 अगस्त से बिहार के सासाराम से अपनी 16 दिवसीय “मतदाता अधिकार यात्रा” शुरू करने वाले हैं।

ऐसा सियासी दौर जब संसद से लेकर सड़क तक विपक्षी दल चुनाव आयोग द्वारा बिहार में वोटर लिस्ट के एसआईआर को लेकर तीखा विरोध प्रदर्शन कर रही है, उस दौर में ही राहुल गांधी की यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल होंगे।

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बिहार SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

बिहार एसआईआर को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने अंतरिम आदेश में चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट से निकाले गए 65 लाख लोगों के नाम की लिस्ट सार्वजनिक करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग को नाम हटाने की वजह भी बतानी होगी।

राहुल गांधी ने एक्स पर दी जानकरी

बिहार चुनावों से पहले, राहुल का मार्च विपक्षी महागठबंधन द्वारा जमीनी स्तर पर जन-आंदोलन का पहला बड़ा प्रयास माना जा रहा है। विपक्षी महागठबंधन में आरजेडी के अलावा कांग्रेस के CPIML और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी शामिल हैं। बता दें कि राहुल गांधी की यह यात्रा भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तर्ज पर होने वाली है। यह यात्रा बिहार के कई क्षेत्रों के 29 लोकसभा क्षेत्रों के 50 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए 23 जिलों से होकर गुजरेगी।

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राहुल अपनी यात्रा के दौरान 1,300 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी तय करेंगे जो पैदल और वाहनों दोनों से की जाएगी। कांग्रेस के महागठबंधन सहयोगियों जैसे राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, समय-समय पर राहुल के साथ उनकी यात्रा में शामिल होंगे। यात्रा का प्रारंभिक बिंदु सासाराम विपक्षी गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसके गढ़ शाहाबाद में पड़ता है। यह यात्रा मगध, अंग, सीमांचल, मिथिला, तिरहुत और सारण क्षेत्रों में महागठबंधन के गढ़ों से होकर गुज़रेगी और 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में एक रैली के साथ समाप्त होगी। यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्र विपक्षी गठबंधन के लिए गढ़ और महत्वपूर्ण सीटों का मिश्रण हैं।

पिछले चुनाव में कांग्रेस का खराब रहा था प्रदर्शन

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए ने राज्य की 243 सीटों में से 125 सीटें जीतकर चुनाव जीता, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं। 2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 19 पर जीत हासिल की थी। सूत्रों ने कहा कि यात्रा का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों में अपनी स्ट्राइक रेट में सुधार करने के लिए कांग्रेस के समर्थन आधार तक पहुंचना है।

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यात्रा रूट पर पड़ने वाली 50 विधानसभा सीटों में से विपक्षी गठबंधन के पास वर्तमान में 21 सीटें हैं। 2020 में राजद ने इन 50 सीटों में से 23 पर चुनाव लड़ा था और 12 पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने तब 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल सात ही जीत पाई थी। वाम दलों ने मिलकर पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से दो पर जीत हासिल की थी।

किसका कौन सा है क्षेत्र?

यात्रा के रूट में कांग्रेस के पास औरंगाबाद, कुटुंबा (औरंगाबाद), जमालपुर (मुंगेर), कदवा (कटिहार), अररिया, भागलपुर और मुजफ्फरपुर में उसके विधायक हैं। इस क्षेत्र में राजद की सीटों में सासाराम, रफीगंज (औरंगाबाद), गुरुआ (औरंगाबाद), नवादा, शेखपुरा, नाथनगर (भागलपुर), मधुबनी, दरभंगा ग्रामीण, गायघाट (मुजफ्फरपुर), सुगौली (पश्चिम चंपारण), सीवान और एकमा (सारण) शामिल हैं। रोहतास की काराकाट सीट सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के पास है, जबकि मांझी सीट सीपीआई (एम) के पास है।

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कहां से शुरू हो रही यात्रा?

यात्रा की शुरुआत सासाराम, बक्सर-भोजपुर-कैमूर-रोहतास जिलों के शाहाबाद क्षेत्र का हिस्सा है। महागठबंधन ने यहां सभी चार लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था, जिसमें कांग्रेस ने सासाराम, राजद ने बक्सर और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने काराकाट और आरा सीटें जीती थीं। औरंगाबाद-गया जिलों का मगध क्षेत्र अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों का प्रभुत्व है, जो महागठबंधन के समर्थन आधार का हिस्सा हैं।

2020 में राजद और कांग्रेस ने मिलकर सासाराम और औरंगाबाद जिलों की सीटों पर कब्जा कर लिया था। राहुल की यात्रा पूर्वी बिहार पर भी केंद्रित है, जहां उच्च जाति, अति पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वोटों का मिश्रण है। यहाँ भी, भागलपुर और कदवा जैसी सीटें लगभग एक दशक से कांग्रेस के कब्जे में हैं।

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वोट चोरी से लेकर बेरोजगारी और महंगाई के उठाएंगे मुद्दे

राहुल सीमांचल क्षेत्र से भी गुज़रेंगें। इसमें कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज ज़िले शामिल हैं, जहां अल्पसंख्यकों, ओबीसी और अति पिछड़े वर्गों (ईबीसी) के मतदाताओं की बड़ी आबादी रहती है। उम्मीद है कि कांग्रेस नेता इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने के लिए विपक्ष द्वारा एसआईआर की तीखी आलोचना करने वाले हैं। राहुल की यात्रा का आखिरी पड़ाव पश्चिमी बिहार के तिरहुत-सारण क्षेत्र से होकर गुज़रेगा, जिसमें मोतिहारी, गोपालगंज, सीवान और छपरा ज़िले शामिल हैं।

यहां के मतदाता मुख्यतः ओबीसी, अल्पसंख्यक और सवर्ण हैं। एसआईआर अभ्यास और अपने “वोट चोरी” के आरोपों के साथ, राहुल बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ते पलायन और किसानों की दुर्दशा जैसे मुद्दों को भी उजागर कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी यात्रा “वोट चोरों को एक निर्णायक जवाब” और संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक लड़ाई होगी।

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