Lok Sabha Chunav: पंजाब में लोकसभा चुनावों की उल्टी गिनती के बीच इन दिनों बातचीत में केवल एक ही सवाल जोर पकड़ रहा है। वो यह है कि हवा किस तरफ बह रही है? फरवरी 2022 में राज्य विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह के सवाल का जवाब आसानी से दिया जा सकता था। विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 117 में से 92 सीटें जीतकर सत्ता पर कब्जा किया।

पंजाब में पहली बार मुकाबला चौतरफा देखने को मिल रहा है। कई लोग या तो प्रत्याशियों के बारे में कुछ नहीं जानते हैं या किसी खास पार्टी या नेता के पक्ष में मुखर हैं। 1996 के बाद पहली बार भारतीय जनता पार्टी पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के बिना लड़ रही है। किसान यूनियन के सदस्यों के कड़े विरोध का सामने करने के बाद भी लोग अपनी उम्मीदों को लेकर काफी उत्साहित दिखाई दे रहे हैं।

पंजाब में अकेले मैदान में उतरी बीजेपी

पिछले कई लोकसभा चुनावों में राज्य की 13 सीटों में से भाजपा हमेशा तीन सीटों पर ही चुनाव लड़ती रही है। होशियारपुर में पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज की है। गुरदासपुर में लगातार पांच बार जीत हासिल की है और दो बार चुनाव हार भी चुकी है। अमृतसर लोकसभा सीट पर भी पार्टी को तीन चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा है। बाकी बची हुई तीन सीटों पर शिरोमणि अकाली दल चुनाव लड़ती रही है। यह बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी है। हालांकि, 2020 में केंद्र सरकार के द्वारा लाए तीन कृषि कानूनों की वजह से पार्टी ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था।

2027 के विधानसभा चुनाव पर नजर

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि यह चुनाव 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा कदम है। उनका दावा है कि पार्टी इस बार अपने वोट शेयर में काफी सुधार करेगी और 2027 के चुनावों में जीत हासिल करेगी। जाखड़ की उम्मीदें मालवा क्षेत्र के एक कारोबारी समुदाय के लोगों द्वारा भी दोहराई जा रही है। बठिंडा में मशहूर ज्ञानी चाय की दुकान पर चाय पीते लोगों का एक ग्रुप बीजेपी के प्रति अपने समर्थन को लेकर किसी भी बात का संकोच नहीं करता है। एक व्यापारी भारत जिंदल कहते हैं कि मोदी साहब ने देश के लिए कमाल कर दिया है। अब पूरी दुनिया हमें सम्मान की नजरों से देखती है। वहीं, एक दूसरे व्यापारी कहते हैं कि शहर में अभी भी डर का माहौल बना हुआ है।

कानून व्यवस्था का मुद्दा

हरजिंदर सिंह मेला की पिछले साल अक्टूबर में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। वह अपनी कुलचे की दुकान के बाहर बैठे हुए थे। उनके हत्यारों को अभी तक पुलिस पकड़ नहीं पाई है। हम जबरन वसूली के लिए अभी भी धमकी भरे कॉल आते हैं। कई ऐसे भी बिजनेस हैं जो चुपचाप बहादुरगढ़ में ट्रांसफर हो रहे हैं। हमें पीएम मोदी की जरूरत है ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार हो सके।

व्यापारियों ने अमृतपाल सिंह का भी जिक्र किया। वह इस समय एनएसए के तहत जेल में बंद हैं और खडूर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ रहा है। कारोबारी राजीव बजाज कहते हैं कि माहौल काफी खराब है।

बरनाला में इस महीने की शुरुआत में किसान यूनियन और व्यापारियों के बीच हल्का टकराव देखने को मिला था। टायर डीलरशिप चलाने वाले सुनील बंसल का दावा है कि कस्बे के करीब 85 फीसदी वोटर्स पीएम मोदी के साथ हैं। वे कहते हैं कि इसकी वजह पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू बार्डर पर तीन महीने से चल रहा किसान आंदोलन है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से हमें माल को ले जाने के लिए ज्यादा किराया देना पड़ रहा है। दिल्ली के सफर में भी ज्यादा समय लग रहा है क्योंकि अब शंभू बार्डर से होकर नहीं जा सकते हैं। बंसल ने कहा कि साल 2020 में उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया था। लेकिन तीन कानूनों के रद्द होने के बाद किसानों ने अपनी ताकत दिखाना शुरू कर दी है। हमें इस वक्त पीएम मोदी की जरूरत है।

अयोध्या में राम मंदिर का भी लाभ मिलने की उम्मीद

अयोध्या में राम मंदिर बनाने का भी बीजेपी को कुछ इलाकों में लाभ मिल रहा है। बरनाला-सिरसा रोड पर जेसीबी स्पेयर पार्ट्स के डीलर मानव गोयल ने कहा कि मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जिन्होंने कभी भाजपा को वोट नहीं दिया था, लेकिन अब वे मंदिर के कारण उसे वोट देने की प्लानिंग कर रहे हैं। भाजपा उम्मीदवारों को उम्मीद है कि मंदिर मुद्दे से प्रवासी वोट भी उनके पक्ष में आ जाएंगे। 2011 की जनगणना के मुताबिक, राज्य की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 38.15 फीसदी है।

पंजाब में सिखों की संख्या बहुत ज्यादा है। यहां पर सिखों की आबादी कुल 57 फीसदी से ज्यादा है। थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन के संस्थापक प्रमोद कुमार ने कहा कि पंजाब धार्मिक आधार पर वोट नहीं करता और पंजाबी हिंदुओं ने कभी ऐसा नहीं किया। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में काम कर रहे परमजीत जज इस बात से सहमत हैं और बताते हैं कि 1920 में सिखों की पार्टी के तौर पर बनी शिरोमणि अकाली दल कभी सत्ता से बाहर नहीं होता अगर सिखों ने धार्मिक आधार पर वोट किया होता।

अमृतसर के दुर्गियाना मंदिर में काम करने वाले राजेश पाठक इस बात पर अफसोस जताते हैं कि यहां हर कोई मंदिर के लिए बीजेपी का आभारी नहीं है। मैंने देखा है कि हमारे मंदिर के कार्यकर्ताओं में से भी आधे लोग भाजपा को वोट नहीं देंगे। एक व्यापारी राज वर्मा जो रोजाना मंदिर जाते हैं उन्होंने कहा कि मंदिर से कोई भी फर्क नहीं पड़ा है। बीजेपी और शिअद के गठबंधन में वह जीत सकते थे लेकिन अब ऐसा कम होता हुआ नजर आ रहा है। एक हिंदू व्यापारी पी कपूर ने कहा कि हमें विकास चाहिए और धर्म नहीं। हमें सभी जगह पर शांति चाहते हैं और धार्मिक विभाजन नहीं।

गौरतलब है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच गुरुवार को पटियाला में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सिख इतिहास और वीर बाल दिवस पर ज्यादा फोकस किया था। हालांकि, बीजेपी के खिलाफ अभी भी लोगों में अविश्वास बना हुआ है। खासतौर पर गांव के लोगों में भी बना हुआ है। पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के प्रोफेसर लखविंदर सिंह ने कहा कि यह 2020 के आंदोलन के दौरान संसद में पीएम मोदी द्वारा किसानों के बारे में की गई कुछ टिप्पणियों की वजह से है। इसके बाद उन्हें आंदोलिजीवी और इससे भी बदतर खालिस्तानी कहकर बुलाया। यह आज भी उन लोगों को परेशान करता है।

कुछ गांव के लोग आरोप लगाते हैं कि कैसे बीजेपी से जुड़े सोशल मीडिया हैंडल सिखों के खिलाफ नफरत फैलाना जारी रखते हैं। होशियारपुर गवर्नमेंट कॉलेज के पास कुछ युवा कहते हैं कि वे 1984 के नरसंहार को दोहराने का जिक्र करते हैं। हम उन पर कैसे भरोसा कर सकते हैं। लेकिन गांवों में भी कुछ लोग मोदी के पक्ष में हैं। बरनाला के पास सेहना गांव में गुरमेल सिंह ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि किसान नेता प्रधानमंत्री से क्यों नाराज हैं। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सभी को फायदा होता है। यहां तक कि मेरे बैंक अकाउंट में भी सालाना छह हजार रुपये आते हैं। अगर इन यूनियनों को प्रधानमंत्री पसंद नहीं हैं, तो उन्हें इस योजना को नकार देना चाहिए।

गांवों में भी स्थिति में सुधार

भाजपा के बठिंडा के प्रभारी सुनील सिंगला ने कहा कि पार्टी को गांवों में अपनी स्थिति में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। साल 2020 में हम अकालियों से अलग हो गए थे और उस दौरान हमने कभी गांवों में कदम नहीं रखा। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि बादल साहब ने कहा था कि वह सबकुछ संभाल लेंगे। अब हमें एहसास हुआ है कि यह हमें अपने पंख फैलाने से रोकने की एक चतुर चाल थी। वोटर्स को लुभाने के लिए बीजेपी टेकनिक और कार्यकर्ता दोनों के भरोसे है। पार्टी के भठिंडा ऑफिस में 30 लोगों का एक कॉल सेंटर है। इसका काम वोटर्स को कॉल करना और उन्हें केंद्र की योजनाओं की जानकारी देना है।

बीजेपी के कुछ दिग्गज नेता राज्य के पार्टी नेतृत्व के बदलते चेहरे को लेकर कुछ चिंतित है। सिंगला को भरोसा है कि चुनाव में भाजपा का वोट शेयर काफी बढ़ जाएगा। सभी 13 सीटों पर 1 जून को सातवें और आखिरी फेज में वोटिंग होगी। उन्होंने कहा कि यह तो बस एक शुरुआत है। हम बहुत मेहनत कर रहे हैं। अब बस 2027 के विधानसभा चुनाव का इंतजार है। पार्टी के कुछ नेता 2023 में जालंधर लोकसभा उपचुनाव के नतीजों का हवाला देते हैं। यहां पर बीजेपी ने 15 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। इस सीट पर आप के तत्कालीन सांसद सुशील कुमार रिंकू ने जीत दर्ज की थी। वह अब बीजेपी के टिकट से चुनावी मैदान में है।