पंजाब के डीजीपी और एडवोकेट जनरल की नियुक्ति को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के मध्य उपजे तकरार के बीच डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा के दामाद तरुणवीर सिंह लहल को राज्य के एडवोकेट जनरल के पद पर तैनात किया गया है। डिप्टी सीएम के दामाद को एडिशनल एजी बनाए जाने को लेकर विपक्ष ने परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है।
सोमवार को पंजाब सरकार के द्वारा एक अधिसूचना जारी कर एडवोकेट तरुणवीर सिंह लहल को राज्य का नया एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाया गया है। यह नियुक्ति अनुबंध के आधार 31 मार्च 2022 तक के लिए की गई है। हालांकि इस नियुक्ति को साल दर साल बढाए जाने का विकल्प भी है। गौरतलब है कि यह अधिसूचना गृह मंत्रालय के तरफ से जारी की गई है जिसका जिम्मा तरुणवीर सिंह के ससुर व डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा के पास है।
वहीं डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने अपने दामाद की नियुक्ति को जायज ठहराया है। समाचार चैनल न्यूज 18 से बात करते हुए सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि यह नियुक्ति पंजाब के एडवोकेट जनरल की अनुशंसा पर की गई है। उनके पास कोर्ट में 12 साल से ज्यादा समय से प्रैक्टिस करने का रिकॉर्ड है जिसमें 500 से ज्यादा मामले हाईकोर्ट के सामने विचाराधीन हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि यह कोई स्थाई नियुक्ति नहीं है और यह छह महीने से भी कम के लिए अनुबंध के आधार पर की गई है।
हालांकि डिप्टी सीएम के दामाद को एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाए जाने के बाद कांग्रेस विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई। आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि कांग्रेस थोड़े से बदलाव के साथ अपने हर घर नौकरी के मुख्य चुनावी वादे को पूरा कर रही है। ये नौकरियां कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों के परिवार वालों के लिए हैं। इसके ताजा लाभार्थी उप मुख्यमंत्री रंधावा के दामाद हैं। सीएम चन्नी भी कैप्टन की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ वंशवाद को आगे बढ़ा रही है और आम आदमी पार्टी इस मसले को विधानसभा में उठाएगी।
बता दें कि चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही डीजीपी और एडवोकेट जनरल की नियुक्ति को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू और उनके बीच तकरार वाली स्थिति बनी हुई है। सिद्धू डीजीपी इकबाल सिंह सहोता और एजी एपीएस देओल को हटाने की मांग कर रहे हैं। बीते दिनों एपीएस देओल के कथित तौर पर इस्तीफे देने की खबर भी सामने आई थी। सिद्धू 2015 में धार्मिक ग्रंथ बेअदबी के बाद हुए पुलिस गोलीबारी के मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील रहने के कारण देओल को हटाने की मांग कर रहे हैं।