भाजपा उम्मीदवार एस. सेल्वागणपति सोमवार को पुडुचेरी से राज्यसभा की एकमात्र सीट पर निर्विरोध निर्वाचित हुए। यह सीट छह अक्टूबर को खाली हुई थी। पुडुचेरी से भाजपा का पहली बार ऊपरी सदन में प्रतिनिधित्व हो रहा है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस पहली जीत को ऐतिहासिक बताया है। उनका कहना है कि ये दक्षिण में भाजपा की धमक है।

नामांकन वापस लेने की आज अंतिम तिथि थी। नामांकन पत्रों की जांच में केवल सेल्वागणपति का नामांकन वैध पाया गया, जबकि पांच अन्य उम्मीदवारों ( सभी निर्दलीय) का नामांकन खारिज कर दिया गया। उनके पास प्रस्तावकों की आवश्यक संख्या नहीं थी। सेल्वागणपति 1962 के बाद पुडुचेरी से राज्यसभा के लिए दसवें सदस्य हैं। उन्होंने एआईएनआरसी के समर्थन से नामांकन दाखिल किया। यह पार्टी ही पुडुचेरी में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है।

महाराष्ट्र में पीछे हटी बीजेपी, कांग्रेस का रास्ता खुला
महाराष्ट्र में अगले महीने होने वाले राज्यसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रजनी पाटिल का संसद के उच्च सदन के लिए निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। सोमवार को भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार को वापस ले लिया। मई में कांग्रेस सांसद राजीव साटव के निधन के बाद इस सीट पर उप चुनाव होना था। उनका कार्यकाल दो अप्रैल 2026 तक था । चार अक्टूबर को होने वाले उप चुनाव के लिए नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि आज थी।

भारतीय जनता पार्टी ने इस उप चुनाव में संजय उपाध्याय को मैदान में उतारा था। अब चुनाव मैदान से उन्हें हटा लिया गया है। इसके बाद पाटिल के निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता खुल गया है। इस सीट के लिए दो ही उम्मीदवार थे। उपाध्याय ने कहा कि राज्य में कांग्रेस नेताओं ने भाजपा से उम्मीदवार वापस लेने की अपील की थी। पार्टी के निर्देशानुसार मैने अपना पर्चा वापस ले लिया है। उम्मीदवारी वापस लिए जाने का फैसला प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में किया गया।

एमपी से केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन पहुंचे ऊपरी सदन
उधर, मध्य प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट पर केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता एल. मुरुगन को संसद की ऊपरी सदन के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। उपचुनाव में विपक्षी दल कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा था्। राज्यसभा में मुरुगन के निर्वाचन के साथ ही मध्य प्रदेश से ऊपरी सदन में भाजपा सदस्यों की संख्या आठ हो गई है। सोमवार को पर्चा वापस लेने की समय सीमा समाप्त होने के बाद मुरूगन उपचुनाव के लिए एकमात्र उम्मीदवार बचे थे, इसलिए उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया।